Buddhadarshan News, New Delhi
आपने ‘पैडमैन’ फिल्म में तमिलनाडु के अरुणाचलम मुरुगननाथम के सस्ते पैड के निर्माण संघर्ष को तो देखा। हम आपको ऐसे ही संघर्षशील सौम्या डाबरीवाल के बारे में बताते हैं। महज 22 साल की सौम्या ने महिलाओं के लिए ऐसा पैड तैयार किया है, जो एक दो बार नहीं बल्कि डेढ़ से दो साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
दिल्ली के पंजाबी बाग में रहने वाली सौम्या वर्ष 2013 में कॉलेज की पढ़ाई करने ब्रिटेन गई थी। वहां गर्मियों की छुट्टी में कॉलेज की ओर से स्टडी टूर के लिए पश्चिम अफ्रीका के घाना गई। वहां उन्होंने माहवारी के दौरान महिलाओं में जागरूकता का बेहद ही अभाव देखा। घाना में महिलाएं माहवारी के दौरान गंदे कपड़े का इस्तेमाल कर रही थीं। महंगे पैड की वजह से महिलाएं खरीद नहीं सकती थीं।
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ऐसे हुआ ‘पैड’ तैयार:
सौम्या ने इंटरनेट पर पैड के बारे में काफी जानकारी इकट्ठा की। वह बाजार से पैड लाती, उसे खोलकर उसमें इस्तेमाल वस्तुओं की बारीकी से देखती। उसके काम से उत्साहित होकर उसके कॉलेज ने उसको लार्ड रूट्स फंड के तौर पर 3.5 लाख रुपए मुहैया कराया। सौम्या ने इस धनराशि का इस्तेमला शोध और पैड को मुफ्त बांटने में खर्च किया। उन्होंने पैड बनाने के लिए दिल्ली में ही एक कंपनी से करार किया है।
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मुफ्त में पैड वितरण:
सौम्या अब तक 16 हजार के करीब पैड मुफ्त में वितरित कर चुकी हैं। सौम्या ने इसके लिए एक प्रोजेक्ट ‘बाला’ शुरू किया है। वह हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित 10 राज्यों में जा चुकी हैं। इन राज्यों के स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों, चौपालों पर महिलाओं और युवतियों को माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव, साफ-सफाई के बारे में जागरूक करती हैं।
दिल्ली में भी जागरूकता का अभाव:
सौम्या कहती है कि छुटिटयों में उनका दिल्ली भी आना होता था। देश की राजधानी दिल्ली में भी माहवारी चक्र को लेकर महिलाओं में जागरूकता का अभाव है। सौम्या की मां द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां माहवारी के दौरान स्कूल से छुट्टी कर लेती थीं।
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