जातक कथाओं में रुरु मृग की करुणा का वर्णन है
–रुरु मृग सोने का बना था
Buddhadarshan News, New Delhi
जातक कथाएं: जीवन में करुणा ही सर्वोपरि है। हम इंसानों को जीव-जंतुओं सहित ब्रह्मांड के सभी जीवों से करुणा की सीख लेनी चाहिए। आइए, जातक कथाओं के जरिए करुणा और प्रेम को आत्मसात करें। प्राचीन काल में रुरु नामक एक मृग था। सोने का बना रुरु बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। उसके रेशमी बाल, खूबसुरत सींग उसे बेहद आकर्षक बना रहे थे। रुरु बहुत ही विवेकशील था। उसे मालूम था कि इंसान लोभी प्राणी है और लालच की वजह से वह मानवीय करुणा को भी ताक पर रख देता है। बावजूद इसके उसके अंदर मनुष्य सहित सभी जीवों के लिए करुणा का भाव कूट-कूट कर भरा था।
एक दिन जब रुरु जंगल में विचरण कर रहा था तो उसे किसी मनुष्य के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। करीब आने पर उसने देखा कि एक व्यक्ति नदी की धारा में डूब रहा है। उस व्यक्ति को बचाने के लिए रुरु का दिल मचल पड़ा और उसने झट से नदी में छलांग लगा दी। तैरकर वह डूबते हुए मनुष्य के पास पहुंचा और उसे अपना पांव पकड़ने को कहा, लेकिन मनुष्य ने जल्दबाजी में रुरु के पैरों के बजाय उसके ऊपर सवार हो गया। ऐसे में रुरु को मनुष्य को बचाने में बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके उसने उस व्यक्ति को बचाकर बड़े ही संयम पूर्वक नदी के किनारे लाया।
किसी को मत बताना कि स्वर्ण मृग ने बचाई जान:
जान बचाने पर उस आदमी ने रुरु को धन्यवाद कहना चाहा तो रुरु ने उसे सलाह दी कि यदि वह वास्तव में उसे धन्यवाद देना चाहता है तो वह किसी को भी नहीं बताएगा कि स्वर्णमृग ने उसकी जान बचाई है। क्योंकि लोगों को मालूम होगा तो वे मेरा शिकार करना चाहेंगे। तत्पश्चात रुरु उस मनुष्य से विदा होकर चला गया।
कुछ समय बाद उस राज्य की रानी को साक्षात रुरु का दर्शन हुआ, रुरु की सुंदरता पर रानी मोहित हो गईं और उसे अपने पास रखने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने राजा से स्वर्ण मृग को लाने को कहा। रानी की मांग पर राजा ने नगर में ऐलान किया कि जो स्वर्ण मृग को लाएगा, उसे एक गांव और 10 सुंदर युवतियां पुरस्कार स्वरूप दी जाएंगी।
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राजा की घोषणा की जानकारी उस व्यक्ति को भी मिली। उसके मन में लालच का भाव आ गया, उसने झट से राजा के पास आकर रुरु के बारे में सारी जानकारी दे दी।
रुरु की करुणा से राजा भी हुए चकित:
राजा और उनके सैनिक रुरु को पकड़ने जंगल में गए। उन्होंने रुरु के निवास पर उसे चारों ओर से घेर लिया। राजा ने जब रुरु पर तीर से निशाना साधा तो रुरु ने मुनुष्य की आवाज में कहा, राजन, मुझे मारने से पहले यह बताओ कि तुम्हें मेरे बारे में कैसे मालूम हुआ। राजा ने उस व्यक्ति की ओर तीर का निशाना किया। ऐसे में रुरु ने कहा, पानी से लकड़ी के तिनके को भी निकाल लीजिए, लेकिन किसी ऐहसान फरामोश इंसान को पानी से मत निकालिए। फिर उसने राजा को सारी घटना बताई। ऐसे में राजा का मन करुणा से भर गया, उसने रुरु के बजाय उस व्यक्ति को मारना चाहा तो रुरु ने राजा को ऐसा करने से मना कर दिया। रुरु के आग्रह पर राजा ने उस व्यक्ति को जीवनदान दे दिया। रुरु की करुणा से प्रभावित होकर राजा उसे अपने साथ महल में आने का निमंत्रण दिया, रुरु ने राजा के आग्रह को स्वीकारते हुए कुछ दिन उनके महल में रहा, फिर अपने निवास की ओर लौट गया।