Buddhadarshan News, New Delhi
81 वर्षीय मनकौर पिछले 14 सालों से अपने बेटे शमशेर से मिलने को तरसती रहीं, लेकिन बेटे का दिल नहीं पसीजा। मां से मिलना तो दूर बेटे ने अंतिम समय में मां की अर्थी को कंधा भी नहीं दिया। ऐसे में चार बेटियों ने मनकौर की अर्थी को कंधा देने का बीड़ा उठाया। इन बेटियों ने श्मशान में मां की अंतिम क्रिया भी की।
मनकौर अपने परिवार संग उत्तम नगर स्थित रामापार्क में रहती थीं। वर्ष 2003 में उनके पति की मौत हो गई। तत्पश्चात उन्होंने अपनी सारी संपत्ति बेटे शमशेर के नाम कर दी। लेकिन पिता की मौत के बाद शमशेर और उसकी पत्नी का मनकौर के साथ विवाद था।
पिछले 14 साल से मनकौर के बेटे और उसकी बहू उससे मिलने नहीं आए। इस दौरान मनकौर की कई बार तबियत भी खराब हुई। अंतत: मां ने नाराज होकर अपनी अंतिम इच्छा के तौर पर अपनी अर्थी को बेटे का हाथ लगाने से मना कर दिया था। मनकौर की मौत के बाद शमशेर अपनी बहन के घर पटेल गार्डन आ तो गया, लेकिन अज्ञात की तरह बाहर बैठा रहा।
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