Buddhadarshan News, New Delhi
‘जो समाज अपने बौद्धिक वर्ग का जितना पालन और पोषण करता है वह स्थाई रूप से अग्रणी होता है और सामाजिक, राजनैतिक क्रांति का रास्ता लेखन से होकर ही गुजरता है।’ भारत के कृषक एवं कमेरा समाज को जागरूक करने के लिए शुरू बौद्धिक संघ सम्मेलन के जनक एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजकुमार सचान होरी ने यह विचार व्यक्त किया है। इस बार पांचवीं बौद्धिक संघ सम्मेलन का आयोजन 21-22 अप्रैल को मध्य प्रदेश के रीवा में आयोजित किया जाएगा।
राजकुमार सचान होरी कहते हैं कि पिछड़ेपन की मौजूदा परिभाषा के अनुसार जो समाज जितना अधिक लेखन, साहित्य, बौद्धिक कार्यों में पीछे है वही पिछड़ा है। अत: विकास की मुख्य धारा से कटे समाज के वर्गों के प्रतिभाओं को एक मंच पर लाने के लिए ही 16 जुलाई 2017 को गाजियाबाद में बौद्धिक संघ सम्मेलन की शुरूआत की गई।
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सरदार पटेल सेवा संस्थान में होगा सम्मेलन:
बौद्धिक संघ मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष डॉ.महेश सिंह कहते हैं कि महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध की स्मृति में 21 व 22 अप्रैल को सरदार पटेल सेवा संस्थान निराला नगर रीवा में दो चरणों में सम्मेलन का आयोजन होगा।
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21 अप्रैल को शाम 7 बजे से 11 बजे तक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। कवि सम्मेलन में आकाशवाणी के पूर्व निदेशक हरि सिंह पाल, बाबा कानपुरी हास्य कवि गौतमबुद्ध नगर, अशोक अंचल शिकोहाबाद, बाबू लाल दहिया सतना, सुमन कुमारी लखनऊ और मध्य प्रदेश के कई प्रसिद्ध कवि भाग लेंगे।
22 अप्रैल को बौद्धिक सम्मेलन:
22 अप्रैल रविवार को 11 बजे से शाम 4 बजे तक बौद्धिक संघ सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान ‘मीडिया में भागीदारी क्यों और कैसे’ विषय पर नेशनल जनमत के संपादक नीरज भाई पटेल व्याख्यान देंगे। इसके अलावा ओबीसी साहित्य विमर्श और दलित साहित्य से समन्वय पर वरिष्ठ साहित्यकार हरिसिंह पाल अपना विचार व्यक्त करेंगे। इसके अलावा अन्य कई ज्वलंत मुद्दों पर अनेक साहित्यकार अपनी बात रखेंगे।
इसके बाद 23 अप्रैल को बौद्धिक संघ का सेमिनार 11 बजे से सरदार पटेल डिग्री कॉलेज रीवा में आयोजित किया जाएगा।
महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध:
महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध का जन्म 2 दिसंबर 1925 को मध्य प्रदेश के सतना जिले के सोनवर्षा गांव के एक कुर्मी कृषक परिवार में हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से पोस्टग्रेजुएशन के बाद मध्य प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक, प्रवक्ता एवं प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे। 1984 में प्राचार्य पद से सेवानिवृत होकर पूर्ण रूप से सामाजिक कार्य में जुड़ गए। बौद्ध धर्म एवं दर्शन का विशेष अध्ययन किया। आपने 14 अक्टूबर 1985 को बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। 27 फरवरी 2010 में आपका महापरिनिर्वाण हुआ।
महाकवि की प्रसिद्ध कृतियां:
5 महाकाव्य- चंद्रगुप्त मौर्य, पाण्डवपुराण, जयदेव, चारूवाक, बुद्ध चरित्र चंद्रोदय
2 खण्ड काव्य- शंबूक वध, नागौर का नाहर
अन्य रचनाएं- सोमलता, करील के कांटे, कवियों के कतरे, गजरे, पहले के पहलू इत्यादि
गद्य रचनाएं:
बुद्ध या राम, सम्यक संदेश, जातिवाद का सर्वेक्षण, धर्मपरिवर्तन क्यों, बौद्ध धर्म का स्वरूप, बौद्ध दर्शन के दृष्टिकोण।
साभार- National janmat