जंगली जानवरों को बिहार में मारने की छूट है, लेकिन यूपी में नहीं
–वन मंत्री दारा सिंह चौहान को कई बार पत्र लिख चुकी हैं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल
Buddhadarshan News, Lucknow
किसानों को न केवल अपनी फसलों की वाजिब कीमत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, बल्कि अपनी फसल की रखवाली के लिए भी इस ठिठुरती ठंड में खेतों में पूरी रात बितानी पड़ रही है। मजे की बात यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल इस ज्वलंत मुद्दे को संसद में उठा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान को पत्र लिख चुकी हैं। बावजूद इसके नीलगाय, जंगली सुअर, घड़रोजों को मारने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई और फाइल उत्तर प्रदेश सरकार के वन विभाग की दफ्तर में धूल फांक रही है। खास बात यह है कि बिहार सरकार की पहल पर केंद्र सरकार ने 1 दिसंबर 2015 में ही इन जानवरों को ‘पीड़क जंतु’ मानते हुए बिहार में मारने का आदेश जारी कर चुकी है।
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यूपी के किसानों को हो रहा है नुकसान:
बता दें कि उत्तर प्रदेश में दलहनी फसलों और सब्जियों को घड़रोजों, नीलगायों और वनरोजों से ज्यादा नुकसान हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि किसानों को विशेष तौर पर सब्जियों के खेतों में मचान (खेत के बीच में छोटी सी झोपड़ी, जमीन से ऊपर) बनाकर रात में रहना पड़ रहा है, बावजूद इसके समस्या का समाधान न होने पर अब किसानों ने सब्जियों के खेतों को चारों तरफ से कपड़े अथवा तारों से घेर दिया है, ताकि जंगली जानवर खेत में न घुस पाए। ऐसा करने में किसानों की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। खबर के साथ लगाई गई फोटो बाराबंकी में देवा शरीफ के पास की है, जहां पर किसानों ने अपनी आलू की फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेत के चारो ओर साड़ियों से घेरा बनाया है।
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केंद्र की फाइल लखनऊ में फांक रही है धूल:
किसानों की इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल इस संबंध में पांच महीने पहले उत्तर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान को पत्र के जरिए अनुरोध कर चुकी हैं, ‘कृपया जनहित में महत्वपूर्ण इस विषय विशेष पर तत्काल कार्रवाई कर घड़रोजों, नीलगायों और वनरोजों को वन्यजीव संरक्षण अधीनियम 1972 अनुसूची 3 से अनुसूचित 5 में शामिल करने हेतु अनुशंसा राज्य सरकार से केंद्र सरकार को भिजवाने का कष्ट करें, ताकि बिहार प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश के लिए भी भारत सरकार द्वारा आदेश जारी कराया जा सके।’
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अनुप्रिया पटेल संसद में उठा चुकी हैं मुद्दा:
किसानों की इस समस्या को श्रीमती पटेल ने 4 दिसंबर 2014 को नियम 277 के तहत लोकसभा में मामला उठाया था, जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस विषय में रिपोर्ट की मांग की, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक नहीं दी गई है, जिसकी वजह से इस संबंध में भारत सरकार के स्तर से अग्रिम कार्रवाई लंबित है।