Saturday, July 27, 2024
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Tag: bihar

दहेज, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ खड़ा होगा बिहार, मानव श्रंखला में भाग लेंगे 4 करोड़ लोग, बनेगा विश्व रिकार्ड

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Buddhadarshan News, New Delhi दहेज, बाल विवाह, कन्य भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ 21 जनवरी को बिहार एक ...

प्रथम ‘मुफ्ती अवार्ड फ़ॉर प्रोबिट इन पॉलिटिक्स एंड पब्लिक लाइफ सम्मान’ से नवाजे गए नीतीश कुमार

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Buddhadarshan News, New Delhi            बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रथम मुफ्ती अवार्ड फ़ॉर प्रोबिट इन पॉलिटिक्स एंड पब्लिक लाइफ ...

Free Wi-Fi service at 1603 railway stations

अब सीधे नेपाल तक ट्रेन यात्रा, जयनगर से जनकपुर होते बर्दीबास तक रेल लाइन

बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली नए साल में नेपाल और भारत रेलवे मार्ग से भी जुड़ जाएंगे। नेपालवासियों को भारतीय रेलवे ...

कुदरत के करीब आने का माध्यम है छठ महापर्व

कुदरत के करीब आने का माध्यम है छठ महापर्व

  Buddhadarshan News, New Delhi इंसान को कुदरत के करीब लाने का पर्व है छठ महापर्व। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी (24 अक्टूबर) के रोज नहा खा से शुरू होकर अगले 27 अक्टूबर की सुबह इस महापर्व का समापन होगा। इस महापर्व में अस्ताचल (sunset) और उगते सूर्य (rising sun) की पूजा होती है। श्रद्धालु नदी, जलाशय, पोखरी, नहर इत्यादि के किनारे इस त्यौहार को मनाते हैं। 24 अक्टूबर को नहा खा कर यह पर्व शुरू होता है। अगले दिन (25अक्टूबर) खरना तथा शुक्ल पक्ष के षष्ठी (26 अक्टूबर) की शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ व्रतधारी उसके अगले दिन सुबह में (27 अक्टूबर) उदयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर महाव्रत का समापन करेगें । बिहार के विभिन्न हिस्सों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में भी यमुना और समुंद्र के किनारे इस महापर्व पर श्रद्धालुओं का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। हालांकि दिल्ली में यमुना के बहुत ज्यादा प्रदूषित होने की वजह से श्रद्धालुओं को गंदे पानी में खड़ा होकर सूर्यदेव की पूजा करनी पड़ती है। यह भी पढ़ें: Ayodhya:दिल्ली से अयोध्या जाने वाली प्रमुख ट्रेन शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व प्रचानीकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार उषा (छठी मईया ) एवं  प्रत्युषा सूर्यदेव की दो पत्नियाँ हैं। छठ महाव्रत में श्रद्धा, भक्ति, समर्पण तथा सात्विकता के साथ निर्जला उपवास रखकर भगवान सूर्य, दोनों माताओं तथा भगवान कार्तिकेय की भी पूजा अर्चना की जाती है। मौसमी फलों, नारियल, ईख, ठेकुआ, कचवनिया आदि के साथ दूध तथा गंगाजल से अर्घ्य समर्पित किया जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी या छठ व्रत की शुरुआत रामायण काल से हुई थी। इस व्रत को सीता माता और द्रौपदी ने भी किया था।

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