बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने सारनाथ में पहला उपदेश दिया
वाराणसी से 10 km दूर है सारनाथ
Buddhadarshan News, New Delhi
बिहार के बोधगया में भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई।
ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध सारनाथ चले आए।
भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश वाराणसी के सारनाथ में पांच ब्राह्मणों को दिया था।
बौद्ध धर्म के मुताबिक इसे इतिहास में ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ के तौर पर जाना जाता है।
प्राचीन काल में सारनाथ को ऋषिपत्तन अथवा मृगदाव (काले हिरणों का जंगल) कहा जाता था।
बोधगया से सारनाथ की दूरी लगभग 240 km है।
भगवान बुद्ध ने सारनाथ में जिस स्थान पर अपने पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया, उसी स्थान पर सम्राट अशोक ने धमेख स्तूप का निर्माण करवाया।
इसे ‘सीट ऑफ हॉली बुद्धा’ के तौर पर भी जाना जाता है।
सम्राट अशोक ने 273-232 ई.पू. (B.C.) इस पवित्र स्थान की यात्रा की थी।
उसने यहां पर एक स्तंभ लगवाया और उसके ऊपर चार सिंह स्थापित किया।
आज ये चारों सिंह हमारे देश के राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर जाने जाते हैं।
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यहां पर मूलगंध कुटी विहार, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, म्यूजियम, केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, इसके अलावा श्रीलंका, थाईलैंड, जापान इत्यादि देशों द्वारा यहां पर कई मंदिर निर्मित कराए गए हैं।
सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सारनाथ की यात्रा की थी।
ह्वेनसांग के अनुसार यहां पर लगभग 3 हजार बौद्ध भिक्षु रहते थें।
यहां पर जैन मंदिर भी है।
जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मस्थली यहीं पर है।
कैसे जाएं सारनाथ: How to go Sarnath:
वाराणसी से सारनाथ की दूरी मात्र 10 km है।
वैसे तो सारनाथ में सारनाथ के नाम से रेलवे स्टेशन है, लेकिन यहां पर एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रूकती हैं।
देश –विदेश से आने वाले अधिकांश पर्यटक एयरोप्लेन, ट्रेन अथवा बस के जरिए पहले वाराणसी आते हैं।
यहां से टैक्सी अथवा ऑटो के जरिए सारनाथ आते हैं।
वाराणसी से सारनाथ तक काफी संख्या में बड़े एवं छोटे होटल बने हैं, जहां ठहरा जा सकता है।
सारनाथ में भी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के सूचना अधिकारी बैठते हैं।
इनसे आप आवश्यक जानकारी अथवा गाइड ले सकते हैं।
वाराणसी के लिए ट्रेन-एयरोप्लेन सर्विस:
वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से रोजाना दिल्ली, मुंबई, कोलकात्ता और चेन्नई से एयरोप्लेन आती हैं।
यहां पर स्पाइस जेट, एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा और जेट एयरवेज की सीधी उड़ान है।
प्रमुख ट्रेनें वंदे भारत, राजधानी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, शिव गंगा सहित कई दर्जन ट्रेनें वाराणसी से गुजरती हैं।
इसके अलावा वाराणसी से 17 km दूर मुगलसराय रेलवे स्टेशन (डीडीयू रेलवे स्टेशन) से उत्तर भारत की अधिकांश ट्रेनें गुजरती हैं।
डीडीयू रेलवे स्टेशन भारत का चौथा सबसे व्यस्त रेलवे जंक्शन है।
भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग 7 वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता (2369 km) है।
इसके अलावा कोलकाता से पेशावर तक जाने वाला प्राचीन जीटी रोड (ग्रांड ट्रंक रोड) भी (राष्ट्रीय राजमार्ग 2) यहीं से गुजरता है।
दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 2 की लंबाई 1465 km है।
इस मार्ग पर दिल्ली, मथुरा, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी इत्यादि हैं।
दिल्ली से आगे इस राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग एक के नाम से जाना जाता है।
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