Buddhadarshan News, New Delhi
ढाई हजार साल पहले सामाजिक समस्याओं को स्थानीय स्तर पर दूर करने के लिए भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश के तहत दिल्ली देहात के लोगों ने गैर राजनीतिक संगठन स्थापित करने का फैसला किया है। 2300 साल पहले लिखी गई किताब ‘दीघ निकाय’ की शिक्षा आज के समय में हमें ज्यादा जरूरी है। दिल्ली देहात के लोगों ने रविवार को ककरौला गांव में सेक्टर 14 के पास एक पंचायत में यह फैसला लिया।
इस किताब में भगवान बुद्ध के दिए हुए प्रवचन एवं अन्य बातें हैं। एक बहुत ही दिलचस्प वाक्य है कि किस प्रकार अजातशत्रु वाजी देश पर आक्रमण करना चाहता था। उसने अपने मंत्री वसाकरा को बुद्ध के पास सलाह लेने के लिए भेजा। लेकिन बुद्ध ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया और कहा आप वाजी देश को गुलाम नहीं बना सकते क्योंकि जो खूबियां एक सशक्त समाज को चाहिए, लगभग वे सारी खूबियां वाजी देश में है।
-वाजी के लोग निरंतर सभाएं करते हैं। वह मिलकर फैसला लेते हैं और मिलकर एक साथ उन फैसलों पर कार्य करते हैं। जो नियम उन्होंने अपने समाज के लिए बना रखे हैं उनका वह पालन करते हैं। अपने बड़ों का आदर करते हैं। अपनी औरतों के साथ अच्छा बर्ताव करते हैं कोई जबरदस्ती या अत्याचार नहीं करते। अपने स्थानीय कुलदेवता का आदर करते हैं। अलग अलग धर्म या संप्रदायों के संतों का वह आदर करते हैं।
पंचायत में लिए गए प्रमुख फैसले-
किराड़ी गांव के विजयपाल नेहरा, मुंडका के दीवान सिंह और तपा 17 के महेश कुमार ने जानकारी दी-
-अंग्रेजों के समय नई दिल्ली से उजाड़े गए 21 गांव की जल्द ही एक पंचायत की जाएगी और उनको दिल्ली की मुख्यधारा में ससम्मान जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। गौरतलब है कि नई दिल्ली की स्थापना के दौरान यहां के कुछ गांवों के लोगों को हरियाणा के सोनीपत भेज दिया गया। दिल्ली के गांवों कीwww.delhivillages.org नाम से एक वेबसाइट विकसित की जाएगी। प्रत्येक गांव में ग्राम सभा का संगठन तैयार किया जाएगा।