Buddhadarshan News, New Delhi
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 बनाई है। पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 में बनाई गई थी। इस प्रकार, यह नीति बदलते सामाजिक-आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।
नीति में इसके सभी आयामों – स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का प्रबंधन और वित्त-पोषण करने, विभिन्न क्षेत्रीय कार्रवाई के जरिए रोगोंकी रोकथाम और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने,चिकित्सा प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराने,मानव संसाधन का विकास करने,चिकित्सा बहुलवाद को प्रोत्साहित करने, बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित ज्ञान आधार बनाने, वित्तीय सुरक्षा कार्यनीतियां बनाने तथा स्वास्थ्य के विनियमन और उत्तरोत्तर आश्वासन के संबंध में स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने में सरकार की भूमिका और प्राथमिकताओं की जानकारी दी गई है। नई पॉलिसी में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 परसेंट तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इसका उद्देश्य प्रति 1000 की आबादी के लिए 2 बिस्तरों की उपलब्धता इस तरह से सुनिश्चित करनाहै ताकि आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर इसे उपलब्ध कराया जा सके। इस नीति में उपलब्धता तथा वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी सार्वजनिक अस्पतालोंमें नि:शुल्क दवाएं, नि:शुल्क निदान तथा नि:शुल्क आपात तथा अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।
नई पॉलिसी के तहत प्रमुख लक्ष्य-
निम्नलिखित हैं:-
जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जी
आयु और/या कारणों द्वारा मृत्यु दर – 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना तथा एमएमआर के वर्तमान स्तर को 2020 तक घटाकर 100 करना। नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चों की दर को 2025 तक घटाकर “एक अंक’ में लाना।
रोगों की व्याप्तता / घटनाओं
2020 के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करना, जिसे एचआईवी / एड्स के लिए 90:90:90 के लक्ष्य के रूप में भी परिभाषित किया गया है अर्थात् एचआईवीपीड़ित सभी 90% लोग अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में जानते हैं – एचआईवी संक्रमण से पीड़ित सभी 90% लोग स्थायी एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करते हैं तथा एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करने वाले सभी 90% लोगों में बॉयरल रोकथाम होगी।
2018 तक कुष्ठ रोग,2017 तक कालाजार तथा 2017 तक स्थानिकमारी वाले क्षेत्रों में लिम्फेटिक फिलारिएसिस का उन्मूलन करना तथा इस स्थिति को बनाए रखना।
क्षयरोग के नए स्पुटम पाजिटिव रोगियों में 85% से अधिक की इलाज दर को प्राप्त करना और उसे बनाए रखना तथा नए मामलों की व्याप्तता में कमी लाना ताकि 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति प्राप्त की जा सके।
2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता को घटाकर25/1000 करना तथा रोगियों की संख्या को वर्तमान स्तर से घटाकर एक-तिहाई करना।
हृदवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या सांस के पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु को 2025 तक घटाकर 25%करना।
इस नीति में गैर-संचारी रोगोंकी उभरती चुनौतयों से निपटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
नीति में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल हैं। इसमें प्रभावी रोकथाम तथा चिकित्सा करने की व्यापक क्षमता है, जो सुरक्षित और किफायती है। योग को अच्छे स्वास्थ्य के संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों और कार्यस्थलों में और अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जाएगा।
विनियामक परिवेश में सुधार करने और उसे सुदृढ़ बनाने के लिए नीति में मानक तय करने के लिए प्रणालियां निर्धारित करने तथा स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करनेकी परिकल्पना की गई है। यह नीति रोगी आधारित है और इसमें रोगियों को उनकी सभी समस्याओं का निदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है। नीति में औषधियों और उपकरणों का सुलभता से विनिर्माण करने,मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने तथा तथा चिकित्सा शिक्षा में सुधार करनेकी भी अपेक्षा की गई है। यह नीति व्यक्ति आधारित है, जो चिकित्सा परिचर्या चाहता है।
नीति में मध्य स्तरीयसेवा प्रदायक कैडर,नर्स प्रेक्टिशनरों,जन स्वास्थ्य कैडर का विकास करने की हिमायत की गई है.
नीति में स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने तथा औषधियों और उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई है।