बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध बन गए सिद्धार्थ
बुद्ध ने “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” का संदेश दिया
Buddhadarshan News, Mirzapur
आज देश-दुनिया में फैले नक्सलवाद, आतंकवाद, गैर बराबरी, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसी समस्याओं का हल भगवान बुद्ध के विचारों में छुपा है, इसलिए आप भगवान बुद्ध के संदेश को अधिक से अधिक पढ़ें। उनके संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह विचार रविवार को मिर्जापुर के अरगजा पाण्डेयपुर में सम्राट अशोक वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित बुद्ध महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। इस मौके पर डॉ.विद्याशंकर मौर्य, राजकुमार विश्वकर्मा, मनोज मौर्य, पप्पू मौर्य सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
Sarnath: बुद्ध ने यहीं दिया था पहला उपदेश
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जब भी हम शांति, अमन चैन की बात करते हैं तो सबसे पहले हमें बुद्ध याद आते हैं। भगवान बुद्ध ने दुनिया में अमन चैन कायम करने और समाज में व्याप्त आडंबर, रूढ़िवाद को मिटाने के लिए राजमहल के ऐशोआराम को त्याग दिया।
बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध बन गए और उन्होंने अपना पहला उपदेश इसी काशी की धरती पर सारनाथ में दिया।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि तृष्णा मानव के सब दु:खों का कारण है। इसी तृष्णा रूपी वृक्ष का फल है असत्य, हिंसा और छल कपट।
भगवान बुद्ध ने कहा कि पंचशील को स्वीकार करके
मनुष्य सभ्य और सुखी मानव बन सकता है।
पहला शील: जीव हत्या न करना
दूसरा शील: चोरी न करना
तीसरा शील: काम वासना तथा अन्य विकारों से दूर रहना
चौथा शील: झूठ नहीं बोलना
पांचवां शील: नशीली वस्तुओं का सेवन न करना
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने बाह्या धार्मिक कर्म काण्डों और पाखण्ड पूजा का विरोध किया। वह मनुष्य को घोर तपस्या का भी उपदेश नहीं देते। उनका मार्ग मध्यम मार्ग है। भगवान बुद्ध ने सदैव अपने भिक्षुओं को घूम-घूम कर बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय अर्थात अधिक से अधिक जन समूह के हित और सुख प्राप्ति के लिए प्रचार करने का संदेश दिया।
भगवान बुद्ध ने उस समय प्रचलित वर्णव्यवस्था और ऊंच-नीच की भावना पर बहुत तगड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सब एक समान मानव हैं। कोई जन्म मात्र से बड़ा नहीं है और न ही कोई छोटा है। हर एक अपने कर्मों (आचरण) से छोटा बड़ा बनता है। भगवान बुद्ध ने केवल उपदेश ही नहीं दिया, बल्कि अपने भिक्षु संघ में उन्होंने समाज के सभी तबके के लोगों को शामिल किया।
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भगवान बुद्ध का संघ समुद्र की भांति था। जैसे समुद्र में सब नदियां मिलकर अपना नाम, धाम, निशान खोकर केवल एक रूपी हो जाती हैं, इसी प्रकार भगवान बुद्ध के भिक्षु संघ में शामिल होने पर जन्म मात्र से बनाई गई पृथक – पृथक जातियों की सब भिन्नता मिटा कर केवल भिक्षु (बोधि) संज्ञा रह जाती है। भगवान बुद्ध के धर्म को विशुद्ध मानवता वादी धर्म कहा गया है।