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88 हजार ऋषियों की तपस्थली है “नैमिषारण्य”

नैमिषारण्य के दर्शनीय स्थल हैं चक्रतीर्थ, ललिता देवी मंदिर, व्यास गद्दी, दधीचि कुंड

admin by admin
December 5, 2024
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Naimisharanya, the penance place of 88 thousand sages

भगवान राम ने नैमिषारण्य में किया था अश्वमेध यज्ञ 

Buddhadarshan News, Lucknow

हिन्दू धर्म में नैमिषारण्य का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

बाल्मीकि रामायण में ‘नैमिष’ नामक स्थान का उल्लेख है।

महाभारत में भी इस तीर्थस्थल का विशेष तौर से उल्लेख किया गया है।

मुगल सम्राट अकबर के नवरत्न अबुल फजल ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘आइने अकबरी’ में नैमिषारण्य का उल्लेख किया है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 80 किमी दूर सीतापुर जनपद में गोमती नदी के किनारे नैमिषारण्य स्थित है।

इसे हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक माना गया है।

सीतापुर के लहरपुर निवासी सामाजिक कार्यकत्र्ता कमलाकांत वर्मा कहते हैं,

” प्राचीन काल में यहां पर काफी घना वन था।

इसलिए यहां पर शुद्ध वातावरण एवं पवित्र नदी गोमती के तट पर यहां ऋषि-मुनी तपस्या करते थें।

वैदिक काल में यह तपस्थली एक प्रमुख शिक्षा-केंद्र के रूप में विख्यात थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार नैमिषारण्य में 88000 ऋषि-मुनियों ने तप एवं ज्ञान प्राप्त किया था।”

यह भी पढ़ें: प्रयागराज के पर्यटन स्थल, संगम, अक्षयवट, आनंद भवन

नैमिषारण्य की महत्ता को हम इस तरह समझ सकते हैं,,,

       तीरथ वर नैमिष विख्याता।

       अति पुनीत साधक सिधि दाता।।

भगवान राम ने किया था अश्वमेध यज्ञ:

कहा जाता है कि भगवान राम ने गोमती नदी के तट पर स्थित इस पवित्र स्थल पर अश्वमेध यज्ञ किया था।

महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन ने यहां की यात्रा की थी।

यह भी पढ़ें:  उत्तर प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल मथुरा, काशी, अयोध्या

नैमिषारण्य के प्रमुख दर्शनीय स्थल:

चक्रतीर्थ, ललिता देवी मंदिर, नारदानंद सरस्वती आश्रम, व्यास गद्दी, दधीचि कुंड, हनुमान गढ़ी, सूत गद्दी, पांडव किला, पूरम मंदिर और मां आनंदमयी का आश्रम, सीता कुंड।

चक्रतीर्थ:

यहां एक गोलाकार सरोवर है और उससे सदैव जल निकलता है।

यही यहां का मुख्य तीर्थस्थल है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार 88000 ऋषियों ने ब्रह्मा जी से तपस्या हेतु एक पवित्र स्थान के बारे पूछा था।

ब्रह्मा जी ने इस बाबत चक्र छोड़ा था और कहा जाता है कि वह चक्र इसी स्थान पर आकर गिरा था।

अत: इन 88000 ऋषियों ने इसी स्थान पर तपस्या किया था।

व्यास गद्दी:

कहा जाता है कि वेद व्यास ने यहीं पर वेद को चार मुख्य भागों में बांटा था।

यहीं पर उन्होंने पुराणों का निर्माण किया। यहां एक प्राचीन बरगद का पेड़ है।

ललिता देवी मंदिर:

जब देवी सती ने दक्ष यज्ञ के बाद अग्नि कुंड में आत्मदाह किया था ।

कहा जाता है कि देवी सती का हृदय इसी स्थान पर मौजूद है और इसे ललिता देवी शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है।

यह भी पढ़ें:  अयोध्या के दर्शनीय स्थल रामजन्मभूमि, हनुमान गढ़ी, कनक भवन

दधीचि कुंड:

नैमिषारण्य से 10 किमी की दूरी पर मिश्रिख में दधीचि कुंड स्थित है।

कहा जाता है कि महर्षि दधीचि ने मानव कल्याण के लिए इसी स्थान पर अपने शरीर का त्याग किया था। 

उनकी हडिडयों से जो वज्र बना, उससे वृत्रासुर नामक राक्षस का वध किया गया।

यहां एक मंदिर, आश्रम और कुंड (तालाब) है।

Tags: 88000 ऋषियों की तपास्थलीHindu Tirtha SthalNaimisharanyaSitapurthe penance place of 88 thousand sagesनैमिषारण्यसीतापुरहिन्दू तीर्थ स्थल
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