ट्रेन से सारनाथ कैसे पहुंचे
How to reach Sarnath by train
Buddhadarshan News, Sarnath
वाराणसी से 10 km की दूरी पर सारनाथ स्थित है।
भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था।
प्राचीन काल में इसे मृगदाव एवं ऋृषिपत्तन नाम से जाना जाता था।
सारनाथ आने के लिए आपको ट्रेन से वाराणसी आना पड़ेगा।
हालांकि सारनाथ के नाम से यहां पर रेलवे स्टेशन है।
लेकिन यहां पर एक्सप्रेस ट्रेन नहीं रूकती हैं।
इंडियन रेलवे की आईआरसीटीसी www.irctc.co.in की वेबसाइट पर किसी भी ट्रेन का टिकट बुक करा सकते हैं।
How to reach Sarnath by train
देश के सभी हिस्सों से प्रमुख ट्रेन वाराणसी आती हैं।
स्वदेश निर्मित सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन नई दिल्ली से वाराणसी कैंट के बीच शुरू हो गई है।
पढ़ें : दिल्ली से बोधगया के लिए ट्रेन
फोन नंबर: 139, 2504221
वाराणसी कैंट से ऑटो अथवा टैक्सी के जरिए आप कुछ समय में सारनाथ पहुंच जाएंगे।
वाराणसी से सारनाथ के बीच शेयरिंग ऑटो भी चलते हैं।
पं. दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन (DDU):
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से महज 17 km की दूरी पर पं. दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन (मुगलसराय रेलवे स्टेशन) है। वाराणसी से सटे चंदौली जिला में यह स्टेशन स्थित है।
पूरबी भारत की ओर जाने वाली अधिकांश राजधानी एक्सप्रेस और गरीब रथ जैसी सुपरफास्ट ट्रेन यहां से गुजरती हैं।
पढ़ें: कैसे जाएं बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी, बस, ट्रेन, टैक्सी या फ्लाइट
यहां पर अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेन रूकती हैं।
यहां से रोजाना 86 ट्रेन गुजरती हैं।
फोन नंबर: 139, 05412-255782
इसके अलावा मडु़आडीह रेलवे स्टेशन है।
कुछ एक्सप्रेस ट्रेन मडु़आडीह रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए चलती हैं।
शिवगंगा सुपरफास्ट ट्रेन यहां से नई दिल्ली के बीच चलती है।
भगवान बुद्ध को बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई।
ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध सारनाथ (मृगदाव) पहुंचे।
चूंकि यहां पर मृगों का जंगल था, इसलिए इसे मृगदाव कहते थे।
यहां पर भगवान बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया।
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह् अशोक चक्र भी यहीं से लिया गया है।
फिलहाल अशोक चक्र सारनाथ स्थित म्यूजियम में रखा गया है।