Buddhadarshan News, New Delhi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को नई दिल्ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने इस संस्थान की आधारशिला अप्रैल, 2015 में रखी थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ.अबेडकर की दृष्टि और शिक्षा के प्रसार में केंद्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने बाबासाहब अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए सभी से काम करने का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि हम उसे 2022 तक पूरा कर लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा। यह सेंटर समावेशी विकास एवं संबंधित सामाजिक-आर्थिक मामलों के लिए एक थिंक-टैंक (विचारक) के रूप में काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में बाबा साहब के योगदान के लिए देश उनका ऋणी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोगों और विशेष तौर पर युवाओं को उनकी दृष्टि और विचारों से अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि डॉ. अंबेडकर के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया है। दिल्ली में अलीपुर, मध्य प्रदेश में महू, मुंबई में इंदु मिल, नागपुर में दीक्षा भूमि और लंदन में उनके मकान ‘पंचतीर्थ’ के तौर पर आज की पीढ़ी द्वारा डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने का तरीका है। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन के लिए भीम ऐप केंद्र सरकार द्वारा डॉ. अंबेडकर की आर्थिक दृष्टि को श्रद्धांजलि है।
प्रधानमंत्री ने डॉ. अम्बेडकर की एक मूर्ति केंद्र के परिसर में तथा डॉ. अम्बेडकर की दूसरी मूर्ति का इस केंद्र के परिकोष्ठ में अनावरण किया।
डॉ.अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र का निर्माण 195 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। यह केंद्र 3.25 एकड़ में बना है। इसे केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए इसमें विशाल पुस्तकालय, तीन अत्याधुनिक सभागार, बैठने और प्रदर्शनी की व्यवस्था के साथ तीन सम्मेलन कक्ष निर्मित किए गए हैं।
डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की वास्तुकला आधुनिक तथा पारंपरिक दोनों का मिश्रण है। इसका सांची स्तूप तोरण जैसा प्रवेश द्वार डॉ अम्बेडकर के बौद्ध धर्म के प्रति लगाव का प्रतीक है। चैत्या मेहराब आंतरिक सज्जा में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। बुद्ध का ध्यान मुद्रा में आठ फुट ऊंचा पत्थर का स्तूप खुले मैदान में स्थापित किया गया है। खड़ी मुद्रा में डॉ. अम्बेडकर का स्तूप चैत्या मेहराब के सामने तथा उनके बैठे हुए मुद्रा में स्तूप परकोष्ठ के अंदर लगाया गया है। कांस्य निर्मित तथा इमारत के पश्चिमी कोने में स्थित दर्शनार्थ सर्व सुलभ 25 मीटर ऊंचे अशोक स्तंभ वाली यह इमारत अद्वितीय है।
भवन का केंद्रीय गुंबद पारदर्शी सामग्री से निर्मित है तथा राष्ट्र ध्वज के प्रतीक 24 स्पोक्स बने हैं। इसका र्इ-पुस्तकालय अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालयों से जुड़ा होगा। विद्ववानों, अनुसंधानकर्ताओं तथा विद्यार्थियों के लिए लगभग 2 लाख पुस्तकें तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालयों की 70 हजार पत्रिकाएं सुलभ रहेंगी। दृष्टिबाधित लोगों के लिए पुस्तकालय में ब्रेल खंड भी उपलब्ध है।