आसमान छूती हरियाणा की बेटियां
Buddhadarshan News, New Delhi
अखाड़े की धूली हो या अंतरिक्ष की उड़ान, राजनीति का दांव-पेच हो या फिर एक विकलांग के सपने की ऊंची छलांग, हरियाणा की बेटियों ने देश को एक ऐसा सौभाग्य दिया, जिसकी पूरी दुनिया दीवानी हो गई। पूरे भारत में भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हरियाणवी मां-बाप की आंखें अपनी बेटियों की शोहरत के कारण छलछला आईं और हरियाणा के लोग इन बेटियों को पुकार उठे-आना इस देश लाडो…तुम फिर आना इस देश लाडो।
बेटियों की शिक्षा को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले इस रूढ़िवादी राज्य में आज बेटियां सफलता की ऊंची उड़ान छू रही हैं। सुषमा स्वराज, कल्पना चावला से लेकर साक्षी मलिक, जुड़वा बहनें ताशी और नुंग्शी मलिक, संतोष यादव, फोगाट बहनों ने सफलता का नया कीर्तिमान रचा है। पेश है हरियाणा की बेटियों की सफलता की कहानियां:
1.एवरेस्ट फतह करने वालीं जुड़वा बहनें ताशी और नुंग्शी:
हरियाणा के सोनीपत जिले की दो जुड़वां बहनें ताशी और नुंग्शी मलिक ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। एवरेस्ट फतह करने वाली पहली जुड़वा बहनों का रिकार्ड भी इनके नाम हो गया है। रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर मलिक की छोटी बेटी का नाम ताशी है, जबकि 26 मिनट पहले पैदा हुई बड़ी बेटी का नाम नुंग्शी रखा गया। बचपन में इन दोनों बहनों का निक नेम था। ताशी का रियल नेम निकिता और नुंग्शी का रियल नेम अंकिता था, लेकिन ताशी और नुंग्सी नाम ज्यादा फेमस होता गया।
मिशन ’टू फॉर सेवन’ को पूरा करने निकली हैं जुड़वा बहनें:
दोनों जुड़वां बहनों ने विश्व के सातों महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत शिखरों पर चढ़ने के लक्ष्य के साथ माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। उन्होंने अब तक माऊंट एवरेस्ट के अलावा अफ्रीका में माऊंट किलिमानजारो, यूरोप में माउंट एलब्रस, दक्षिण अमेरिका में माऊंट एकोनकागुआ और ऑस्ट्रेलिया में माउंट कार्सटेन्स्ज पिरामिड को फतह किया है।
2.देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनीं सुषमा स्वराज:
वर्तमान में देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी हरियाणा की माटी में पैदा हुई हैं। सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में हरियाणा के पलवल जिला में हुआ। आप वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक भारत की 15वीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इससे पहले भी आप केंद्रीय मंत्रीमंडल में रह चुकी हैं और दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही हैं। आपने अंबाला छावनी से बीए और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई के बाद जयप्रकाश नारायण के अांदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वर्ष 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार आने पर सुषमा स्वराज को भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इससे पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं। देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
आपातकाल के बाद उन्होंने दो बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मंत्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बनाया था। पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा 1973 में उन्हें सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला।
3.अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला
अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला भी हरियाणा की बेटी थी। हरियाणा के करनाल में 17 मार्च 1962 में कल्पना चावला का जन्म हुआ था। कल्पना चावला अपने परिवार के चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। घर में सब उसे प्यार से मोंटू कहते थें। कल्पना की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई टैगोर बाल निकेतन में हुई। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से वर्ष 1982 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद अागे की पढ़ाई के लिए कल्पना अमेरिका चली गईं।
कल्पना अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी। मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और 1998 में उन्हें पहली उड़ान के लिए चुना गया। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 को अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ।
कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थीं।
पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील का सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं कीं और अंतरिक्ष में 360 से अधिक घंटे बिताए।
16 जनवरी 2003 में कल्पना की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा कोलंबिया के जरिए एसटीएस 107 मिशन शुरू हुई। कल्पना की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। इस यात्रा में कल्पना सहित सातों यात्रियों की मौत हो गई।
4.माउंट एवरेस्ट पर दो बार तिरंगा लहराने वाली संतोष यादव:
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली संतोष यादव विश्व की पहली महिला हैं। संतोष यादव हरियाणा के रेवाड़ी में पैदा हुईं। संतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। उन्होंने कांगसुंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला हैं। संतोष यादव पहली बार मई 1992 में और दूसरी बार मई 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त कीं।
संतोष यादव का जन्म जनवरी 1969 में हरियाणा के रेवाड़ी जिले में हुआ था। जयपुर से शिक्षा प्राप्ति के बाद संतोष यादव भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी के तौर पर नियुक्त हुईं। उन्हें वर्ष 2000 में पद्यश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
5.रियो आेलंपिक में मेडल जीतने वाली साक्षी मलिक:
रियो ओलंपिक में भारत के लिए पहला मेडल जीतने वाली भारत की लाडली साक्षी मलिक भी हरियाणा की हैं। साक्षी का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिला में हुआ। साक्षी ने महिलाओं की फ्री-स्टाइल कुश्ती के 58 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
साक्षी की मां सुदेश मलिक के मुताबिक साक्षी के जन्म के समय उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर की नौकरी मिली। साक्षी के दादा भी पहलवान थें, इसलिए गांव की माटी में ही साक्षी ने भी कुश्ती के गुर सीखने शुरू कर दिए। घर से स्टेडियम दूर होने पर साक्षी के परिवार ने बेटी की प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम के पास ही घर किराए पर ले लिया। मां खुद बेटी को सुबह चार बजे उठाकर प्रैक्टिस के लिए लेकर स्टेडियम जाती थीं। अौर शाम को ड्यूटी सेवापस आने पर फिर उसे प्रैक्टिस के लिए लेकर जाती थीं।
6.कुश्ती में जीत का परचम लहराने वाली फोगाट सिस्टर्स
हरियाणा के भिवानी जिले का छोटा सा गांव बलाली फोगाट सिस्टर्स के नाम से भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। इस गांव ने देश को अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान गीता, बबिता और रितु दिया है। ये तीनों महिला पहलवान बहनें हैं। अब उनकी पहचान पूरे गांव की पहचान है।
पिता के सपने को साकार कीं बेटियां:
फोगाट बहनों का ये सफ़र उनके पिता के सपने से पूरा हुआ था। इनके पिता महाबीर फोगाट खुद पहलवान थे। उन्होंने खुद बेटियों को ट्रेंड किया। हालांकि, हरियाणा के रूढ़ीवादी समाज में यह इतना आसान नहीं था। जब उन्होंने बेटियों को अखाड़े में ट्रेनिंग देनी शुरू की तो लोग उनका मजाक उड़ाते थें। बेटियों की प्रैक्टिस के लिए महाबीर फोगाट ने घर और खेती का सारा पैसा लगा दिया। कर्ज लेना पड़ा। घरवाले, घरवाले, रिश्तेदार तंज कसते थे कि कुश्ती खेलने से लड़कियों के कान बड़े हो जाएंगे। कोई शादी नहीं करेगा। लेकिन महाबीर फोगाट हार नहीं माने।
इन बहनों की ये हैं उपलब्धियां:
अजुर्न अवॉर्डी व कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 की गोल्ड मेडलिस्ट गीता पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने 2012 में लंदन ओलिंपिक खेला। उनकी बहन बबीता और विनेश ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में गोल्ड मेडल हासिल कीं। फोगाट सिस्टर्स की चचेरी बहनें रितु, प्रियंका और संगीता भी कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुकी हैं।
बहुप्रतीक्षित फिल्म दंगल का है इंतजार:
सिने अभिनेता आमिर खान इन बहनों पर फिल्म दंगल बना रहे हैं।
7.पैराओलंपिक में दीपा मलिक ने जीता मेडल:
दीपा मलिक को 30 साल पहले लकवा मार गया। कमर के नीचे का हिस्सा बेकार हो गया। वह शरीर से विकलांग हुईं, लेकिन मन से नहीं। अपने बाइकिंग के शौक को जिंदा रखने के लिए तैराकी शुरू की। क्योंकि उनके लिए चार पहियों की स्पेशल बाइक तो बन गई, लेकिन चलाने के लिए कंधों-हाथों में दम चाहिए था। विकलांगता को लेकर शारीरिक मानसिक लड़ाई दीपा ने खुद लड़ी। पति कारगिल युद्ध में लड़ रहे थे, पढ़ाई के लिए दोनों बेटियां भी घर से दूर थीं। दीपा ने 36 साल की उम्र में खेलों की ओर रुख किया। तैराकी शुरू की। 2008 में इलाहाबाद में एक किलोमीटर चौड़ी यमुना को बहाव के विपरीत पार कर दिखाया। एशियन रिकॉर्डधारी दीपा अब तक करीब 68 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। 13 इंटरनेशनल 55 नेशनल/स्टेट लेवल की प्रतियोगिताओं में। दीपा की बड़ी बेटी देविका भी पैरा एथलीट हैं। 1992 में जब वह दो साल की थी, तब एक सड़क हादसे में हेड इंजरी की शिकार हो गई। शरीर का बायां हिस्सा पैरालाइज हो गया।