Buddhadarshan News, New Delhi
भारत के विकास को एक नई दिशा देने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबियत खराब है, एम्स में भर्ती हैं। आज अचानक से उनकी यह कालजयी कविता याद आ गई। जीवन में न कभी हारना और न किसी से बैर करना, सीधा अपने पथ पर अग्रसर चलते जाना,,,,,
पेश है यह कविता
गीत नया गाता हूं,
टूटे हुए तारों से फूटे बसंती स्वर,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।
गीत नया गाता हूं।
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं।
गीत नया गाता हूं।
अटल बिहारी वाजपेयी
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