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बुद्ध के पंचशील से आएगा जीवन में सुख-शांति

Buddha's Panchsheel will bring happiness and peace in life

admin by admin
December 11, 2024
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Home Blog

पंचशील से मिलेगी शांति 

–हैप्पी लाइफ के लिए बुद्ध के पंचशील अपनायें

Buddhadarshan News, Lucknow

जब भी दुनिया में शांति, अमन चैन की बात होती है तो हमें बुद्ध याद आते हैं।

बुद्ध के संदेश पंचशील को स्वीकार करके मनुष्य खुशहाल जीवन जी सकता है।  

बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध बन गए।

उन्होंने पहला उपदेश काशी की धरती पर मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ)  नामक स्थान पर दिया।

भगवान बुद्ध के इस प्रथम उपदेश को ही धर्मचक्र प्रवर्तन कहते हैं।

pls read it:  उत्तर प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल मथुरा, काशी, अयोध्या

भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया:

तृष्णा मानव के सब दु:खों का कारण है।

इसी तृष्णा रूपी वृक्ष का फल है असत्य, हिंसा और छल कपट।

भगवान बुद्ध ने कहा कि पंचशील को स्वीकार करके

मनुष्य सभ्य और सुखी मानव बन सकता है।

ये पंचशील हैं:

पहला शील: जीव हत्या न करना

दूसरा शील: चोरी न करना

तीसरा शील: काम वासना तथा अन्य विकारों से दूर रहना

चौथा शील: झूठ नहीं बोलना

पांचवां शील: नशीली वस्तुओं का सेवन न करना

मध्यम मार्ग:

बुद्ध ने सदैव बाह्या धार्मिक कर्म काण्डों और पाखण्ड पूजा का विरोध किया।

वह मनुष्य को घोर तपस्या का भी उपदेश नहीं देते।

उनका मार्ग मध्यम मार्ग है।

Pls read it: Holy place of the world, Varanasi

भगवान बुद्ध अति या एक्सट्रीम के मार्ग पर चलने के उपदेश नहीं देते हैं।

भगवान बुद्ध ने सदैव अपने भिक्षुओं को घूम-घूम कर बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय अर्थात अधिक से अधिक जन समूह

के हित और सुख प्राप्ति के लिए प्रचार करने का संदेश दिया।

वर्ण व्यवस्था का विरोध:

भगवान बुद्ध ने उस समय प्रचलित वर्णव्यवस्था और ऊंच-नीच की भावना पर बहुत तगड़ा प्रहार किया।

उन्होंने कहा कि सब एक समान मानव हैं।

कोई जन्म मात्र से बड़ा नहीं है और न ही कोई छोटा है।

हर एक अपने कर्मों (आचरण) से छोटा बड़ा बनता है।

उन्होंने ऐसी वर्णव्यवस्था को सामाजिक अन्यायकारी व्यवस्था सिद्ध किया और इस व्यवस्था को तोड़ डालने का उपदेश

दिया।

भगवान बुद्ध ने केवल उपदेश ही नहीं दिया, बल्कि अपने भिक्षु संघ में उन्होंने समाज के सभी तबके के लोगों को शामिल

किया।

Pls read it: Sarnath: बुद्ध ने यहीं दिया था पहला उपदेश

बुद्ध का संघ समुद्र की भांति था।

जैसे समुद्र में सब नदियां मिलकर अपना नाम, धाम, निशान खोकर केवल एक रूपी हो जाती हैं, इसी प्रकार भगवान बुद्ध

के भिक्षु संघ में शामिल होने पर जन्म मात्र से बनाई गई पृथक – पृथक जातियों की सब भिन्नता मिटा कर केवल भिक्षु

(बोधि) संज्ञा रह जाती है।

भारत में जाति–पाति की जननी वर्ण व्यवस्था के विरूद्ध प्रथम क्रांति का आह्वान करने वाले एक मात्र भगवान बुद्ध

ही थे।

बुद्ध इसी संसार में एक मानव का दूसरे मानव के साथ कैसा व्यवहार या बर्ताव होना चाहिए इस बात पर जोर देते हैं।

इसी नैतिकता पर बल देने की वजह से भगवान बुद्ध के धर्म को विशुद्ध मानवता वादी धर्म कहा गया है।

Tags: buddhalifePanchsheelpeaceपंचशीलबुद्धशांति
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