बलिराम सिंह, नई दिल्ली
राजधानी को हरा-भरा बनाए रखने और प्रदूषणमुक्त करने के लिए अब Delhi के पुराने पेड़ों को संवारा जाएगा। राजधानी के 18 पुराने व ऐतिहासिक पेड़ों को प्राकृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया है। पर्यावरण मंत्री (अतिरिक्त प्रभार) Kapil Mishra ने सोमवार को इन पेड़ों को प्राकृतिक विरासत (natural heritage) की सूची में शामिल किया है।
बता दें कि दिल्ली में ऐतिहािसक विरासतों (historical heritage) की संख्या काफी ज्यादा है। लेकिन अब राजधानी के प्रसिद्ध, वर्षों पुराने और ऐतिहासिक पेड़ों को भी विरासत की श्रेणी में शामिल किया गया है। राजधानी के अरावली की पहाड़ी और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र में ये पेड़ पाये जाते हैं। इनमें से अधिकांश पेड़ दक्षिण और नई दिल्ली जिला क्षेत्र में स्थित हैं। इन पेड़ों की देखरेख के लिए बकायदा इनके पास साइन बोर्ड लगाए जाएंगे और उसपर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। साथ ही इन पेड़ों से छेड़छाड़ करने वालों को चेतावनी भी दी जाएगी। दिल्ली सरकार के इस कार्य में जानेमाने पेड़ वैज्ञानिक प्रदीप कृष्णन ने सहयोग किया है। राजधानी के पेड़ों की देखरेख के लिए एक अभियान चला रहीं सामाजिक कार्यकत्र्ता पद्मावती द्विवेदी कहती हैं कि सरकार के इस कदम से उन्हें काफी खुशी है। सरकार को यह फैसला काफी पहले ही लेना चाहिए। इस फैसले से राजधानी के पेड़ों की स्थिति में सुधार आएगी।
इन्हें किया गया शामिल-
भीखाजी कामा प्लेस स्थित बरगद का पेड़, तुगलकाबाद किले में एलांथस पेड़, लोधी गार्डन स्थित उत्तरी बारा गुंबद के पास आम का पेड़, इंडिया गेट के पूरब दिशा में बरगद का पेड़, राजघाट मेमोरियल के पास अर्जुन और अशोक का पेड़, तीन मुर्ति पुलिस स्टेशन के पास नीम का पेड़, नेहरू पार्क में एलांथस, मंडी हाउस पर बरगद, कुतुब मीनार के पास सल्वाडोर, बर्मा मिशन में स्थित पीपल का पेड़, जिसके नीचे भगवान बुद्ध की प्रतिमा है। कुतुबमीनार के दक्षिणी छोर पर पीपल का पेड़, कटवरिया सराय स्थित सेंट्रेल पार्क मंे बरगद का पेड़, तीन मूर्ति गार्डन में सीमल का पेड़, अार्य नगर स्थित कादिम शरीफ की मस्जिद में नीम, हौज खास आर्ट्स गांव में पिल्खन और इमली का पेड़, दादा बाड़ी जैन मुनि स्थित पीपल और चिराग दिल्ली दरगाह स्थित खिरनी का पेड़ शामिल किए गए हैं।
4777 हेक्टेयर हराभरा क्षेत्र-
दिल्ली विकास प्राधिकरण के आंकड़े के अनुसार दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 148639 हेक्टेयर है। जिसका 19 फीसदी हिस्सा हराभरा है। जो कि भारत के अन्य शहरों के अपेक्षा सर्वाधिक है।