गांव की सफाई करने के बाद खुद लोगों को बधाई देते थें बाबा गाडगे
Buddhadarshan News, New Delhi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से 100 साल पहले ही महान समाज सुधारक संत गाडगे ने स्वच्छता का अलख जगाया और लोगों को जनस्वास्थ्य के बारे में एक नई दिशा दिखायी।
संत गाडगे महाराज न केवल गांव की खुद सफाई करते थें, बल्कि सफाई के बाद गांव वालों को स्वच्छ गांव की बधाई देते थे।
जब भी हम समाज के निचले तबके को विकास की मुख्य धारा में लाने और समाज में सदियों से फैले रूढ़िवाद रूपी अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर लाने वाले महान संतों को याद करते हैं तो संत गाडगे बाबा भी स्वत: हमारे मन मस्तिष्क में याद आ जाते हैं।
महान संत कबीर दास जी, संत रविदास जी, महात्मा ज्योतिबा फुले की तरह संत गाडगे बाबा ने भी शोषित समाज को जागरूक करने का कार्य किया। समाज में फैली कुरीतियों पर आपने कड़ा प्रहार किया।
23 फरवरी 1876 में महाराष्ट्र के अमरावती जिला में जन्मे महान संत गाडगे बाबा के बचपन का नाम देवीदास डेबुजी था।
संत गाडगे बाबा महाराष्ट्र में सामाजिक विकास के लिए साप्ताहिक उत्सव का आयोजन करते थे।
आपने तत्कालीन ग्रामीण समाज का काफी सुधार किया।
आप एक घूमते फिरते सामाजिक शिक्षक थे।
वे पैरों में फटी चप्पल और सिर पर मिट्टी का कटोरा ढककर पैदल ही यात्रा किया करते थे।
स्वच्छता पर विशेष जोर:
जब भी आप किसी गांव में प्रवेश करते थे, तो सबसे पहले रास्ते एवं आसपास की सफाई करने लगते।
आश्चर्य की बात यह है कि सफाई के बाद संत गाडगे बाबा खुद लोगों को स्वच्छ गांव की बधाई देते थे।
बाबा के इस तरह के परोपकार से आप स्वत: समझ सकते हैं कि उनका व्यक्तित्व कितना महान था।
पैसे से सामाजिक विकास:
बाबा को गांव के लोग जो पैसे देते थे, बाबाजी उन पैसों से सामाजिक विकास करते।
गांवों में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरों के निवास स्थान बनवाते थे।
सफाई के बाद कीर्तन:
गांव की सफाई के बाद बाबाजी गांव में शाम को कीर्तन का आयोजन करते थे और अपने कीर्तनों के माध्यम से जन-जन तक लोकोपकार और समाज कल्याण का प्रसार करते थे।
बाबाजी अपने कीर्तनों में महान संत कबीर दास जी के दोहों को भी शामिल करते थें।
और लोगों को अंधविश्वास की भावनाओं के विरूद्ध शिक्षित करते थे।
आपने जातिभेद और रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाया।
पशुओं से प्रेम:
आप पशुओं से बेहद प्रेम करते थे।
लोगों को जानवरों पर अत्याचार करने से रोकते थे।
आप शराबबंदी के भी पुरजोर समर्थक थें।
बाबाजी लोगों को कठिन परिश्रम, साधारण जीवन और परोपकार के लिए सदैव प्रेरित करते थे।
सदैव जरूरतमंदों की सहायता करने को कहते थे।
एक ऐसा संत जिसने अपना सारा जीवन एक सच्चे निष्काम कर्मयोगी के तौर पर व्यतीत किया।
आपने भीख मांग कर अनेक धर्मशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय और छात्रावासों का निर्माण कराया,
लेकिन अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई।
ऐसे महान संत को कोटि कोटि नमन।