Buddhadarshan News, Sarnath
भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में तथागत के पवित्र अस्थि का दर्शन बुधवार से शुरू हो गया। पवित्र अस्थि का दर्शन करने देश-विदेश से बौद्ध अनुयायी आ रहे हैं। मूलगंध कुटी विहार के 87वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर महोबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से अस्थि दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। पवित्र अस्थि का दर्शन सुबह 6:30 से 7:30 के बीच मूलगंध कुटी मंदिर परिसर में किया जा रहा है। 21 व 22 नवंबर को कठिन चीवर पूजा और महासंघ दान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शाम 8 बजे महापरित्राणदेशना का पाठ होगा, जो पूरी रात चलेगा।
विश्व शांति के लिए प्रार्थना:
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दुनिया में शांति के लिए धमेख स्तूप के पास पूजा-अर्चना प्रार्थना की जाएगी और पूरे मंदिर परिसर को दीपों से सजाया जाएगा। इसके अलावा 23 नवंबर को धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त ऑस्टिन फर्नाडो उपस्थित होंगे।
The oldest city of the world, Varanasi
सारनाथ, एक नजर:
आज से ढाई हजार साल पहले बिहार के बोध गया में सिद्धार्थ से बुद्ध बनने के बाद (ज्ञान प्राप्ति के बाद) भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगरी वाराणसी के सारनाथ में पांच ब्राह्मणों को दिया था। बौद्ध धर्म के मुताबिक इसे इतिहास में ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ के तौर पर जाना जाता है। प्राचीन काल में सारनाथ को ऋषिपत्तन अथवा मृगदाव (काले हिरणों का जंगल) कहा जाता था। बोधगया से सारनाथ की दूरी लगभग 240 km है।
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भगवान बुद्ध ने सारनाथ में जिस स्थान पर अपने पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया, उसी स्थान पर सम्राट अशोक ने धमेख स्तूप का निर्माण करवाया। इसे ‘सीट ऑफ हॉली बुद्धा’ के तौर पर भी जाना जाता है।
सम्राट अशोक ने की थी यात्रा-
सम्राट अशोक ने 273-232 ई.पू. (B.C.) इस पवित्र स्थान की यात्रा की थी। उसने यहां पर एक स्तंभ लगवाया और उसके ऊपर चार सिंह स्थापित किया। आज ये चारों सिंह हमारे देश के राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर जाने जाते हैं।
यहां पर मूलगंध कुटी विहार, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, म्यूजियम, केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, इसके अलावा श्रीलंका, थाईलैंड, जापान इत्यादि देशों द्वारा यहां पर कई मंदिर निर्मित कराए गए हैं।