Buddhadarshan News, New Delhi
दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने ठोस योजना बनाई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नीतीन गडकरी ने दो दिन पहले द्वीप को बाढ़ एवं क्षरण से बचाव के लिए सुरक्षा कार्यों की आधारशिला रखी। इस मौके पर नितिन गडकरी ने कहा कि माजुली द्वीप को बाढ़ एवं क्षरण से बचाव के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के पश्चात माजुली द्वीप का सिकुड़ना रूक जाएगा। साथ ही पानी के अंदर जाने वाली जमीन को भी वापस प्राप्त करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने योजना को अगले दो सालों में पूरा करने करने को कहा।
समिति ने की थी सिफारिश-
माजुली द्वीप के लिए जल संसाधन मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रहमपुत्र बोर्ड ने बाढ़ और क्षरण से द्वीप को बचाने के लिए जनवरी, 2004 से विभिन्न चरणों में सुरक्षा कार्य प्रारंभ किया। इन कार्यों में नदी किनारों पर तटबंध का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, आरसीसी स्क्रीन को बिछाना, अवरोधों का निर्माण शामिल हैं।
2007 में हुआ ज्यादा नुकसान-
दिल्ली से 2247 km दूर असम में स्थित यह द्वीप चारों तरफ से नदियों से घिरा है। वर्ष 2007 में आई अप्रत्याशित बाढ़ की वजह से नीचले माजुली में भूमि का अत्यधिक क्षरण हुअा। यहां का सबसे करीब 25 km दूर जोरहाट रेलवे स्टेशन है और हवाई अड्डा है.
2014 से कई कार्य हुए-
वर्ष 2014 के पश्चात ब्रहापुत्र बोर्ड ने कई कार्य किए। पत्थरों से बनने वाले चार अवरोधों का निर्माण पूरा किया। सलमारा में अवरोध निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। तटबंधों और आरसीसी अवरोधों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। पांच ऊंचे प्लेटफार्माें का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इसे जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है। इन परियोजनाओं पर नवंबर 2017 तक कुल 189.09 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई।
90 साल में 31.5 परसेंट छोटा हो गया द्वीप-
90 साल पहले 1914 में इस द्वीप के क्षेत्रफल में 31.50 परसेंट की गिरावट हो गई। द्वीप का क्षेत्रफल 733.79 से घटकर वर्ष 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर हो गया। हालांकि इसके बाद इस द्वीप को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम से इसका क्षेत्रफल फिर बढ़कर 524.29 वर्ग किलोमीटर हो गया। केंद्रीय मंत्री ने द्वीप को बचाने के लिए ब्रह्ापुत्र बोर्ड कार्यालय के निर्माण की आधारशिला रखी। यह द्वीप दक्षिण में विशाल ब्रह्मपुत्र नदी से तथा उत्तर में खेरकाटिया सूटी, लुइत सूटी और सुबनश्री नदियों से घिरा हुआ है और प्रत्येक वर्ष द्वीप पर बाढ़ आने तथा क्षरण होने का खतरा बना रहता है।