Buddhadarshan News, Varanasi
जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर ने इंडिया दौरे के पहले दिन पवित्र नगरी काशी के सारनाथ पहुंचे और भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए पहले उपदेश के बारे में जानकारी ली। उन्होंने यहां पर धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप और पुरातात्विक संग्राहलय को देखकर काफी अभिभूत हुए। सारनाथ के अलावा फ्रैंक वाल्टर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और गंगा में नौकायन का लुत्फ उठाया और गंगा आरती में भाग लिया। वाराणसी दौरा से जर्मन राष्ट्रपति इस कदर अभिभूत हुए कि उन्होंने कहा, काशी आने में देर कर दी, जाते-जाते उन्होंने कहा, थैंक्यू बनारस।
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जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर ने वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीधे सारनाथ पहुंचे। सारनाथ में जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर ने एक छात्र की तरह भगवान बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों के बारे में काफी गंभीरता से जानकारी हासिल की। उन्हें तथागत के जीवन की प्रमुख घटनाएं, राष्ट्रीय स्तंभ (सम्राट अशोक सिंह शीर्ष), जैन मूर्ति और भगवान शिव का अंधकासुर वध दिखाया गया। वह महाबोधि मंदिर भी गए। बता दें कि भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को धमेख स्तूप स्थान पर अपने शिष्यों को उपदेश दिया था। इस अवसर पर जर्मन राष्ट्रपति को बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट की।
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बीएचयू के छात्रों से हुए मुखातिब:
सारनाथ दर्शन के बाद फ्रैंक वाल्टर बीएचयू गए और वहां पर यूनिवर्सिटी के छात्रों से मुखातिब हुए एवं उनसे भारतीय धर्म, दर्शन सहित विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से बातचीत की।
12 मार्च को फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों इमैनुअल ने भी किया था दौरा-
इसी महीने 12 मार्च को फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों इमैनुअल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों, गंगा घाटों का दर्शन किया और नौकायन का लुत्फ उठाया।