बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बिहार का पहला सौर शीतगृह (सोलर कोल्ड स्टोरेज) बिहार के जमुई जिला के केड़िया गांव में शुरू हो गया है। बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने सोलर शीतगृह का उद्घाटन किया। बता दें कि केड़िया गांव के किसान पिछले दो सालों से प्राकृतिक खेती के जरिए देश के किसानों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। सोलर चालित शीतगृह के लगने के बाद वहां के किसानों के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
लगभग 12 लाख रुपए की लागत में इस प्लांट को स्थापित किया गया है। आईआईटी खड़गपुर के युवा इंजीनियरों ने इस प्लांट को विकसित किया है, जो कि सामान्य सौर शीतगृह से उन्नत है। इसमें सब्जी के रखरखाव के लिए किसान को रोजाना 50 पैसे एक कैरेट (25 किलोग्राम) सामान के लिए भुगतान करना होगा। इसे हाइब्रिड टेक्नॉलाॅजी के तहत विकसित किया गया है, ताकि बारिश अथवा सर्दियों में इस प्लांट को बिजली अथवा डीजल से चलाया जा सके। इस तकनीक में बैट्री के बजाय थर्मल प्लेट का इस्तेमाल किया गया है।
ऑनलाइन चंदा से स्थापित हुआ कोल्ड स्टोरेज-
सौर ऊर्जा से संचालित होने के अलावा, इस शीतगृह की सबसे खास बात यह है कि यह देश भर के लोगों के सहयोग का प्रतीक है। इस शीतग्रह को ऑनलाइन चंदा इकट्ठा करके स्थापित किया गया है। देश में कृषि उत्पाद का लगभग 40 फीसदी नष्ट हो जाता है क्योंकि किसानों के पास उत्पादन के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है । लेकिन ग्रीनपीस इंडिया ऑनलाइन क्राउडफंडिग करके केड़िया के किसानों के लिए सोलर शीतगृह लगाने में कामयाब रहा। ग्रीनपीस के इस मुहिम में बॉलीवुड से जुड़े कई हस्तियां जैसे वहीदा रहमान, पुजा बेदी, पंकज त्रिपाठी व सलीम मर्चेंट ने वीडियो जारी कर लोगों से केड़िया के किसानों की मदद करने की अपील की।
पैदावार का भंडारण सुगम-
कोल्ड स्टोरेज (शीतगृह) के खुलने से केड़िया गांव के किसान अपनी पैदावार का भंडारण आसानी से कर सकते हैं। उन्हें इन उत्पादों को बाजार में अपनी शर्तों पर बेचने का मौका मिलेगा। किसानों को आर्गेनिक उत्पादों के एवज में उचित कीमत मिल सकेगी, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी। इसके अलावा किसान अपने पारंपरिक बीजों को संरक्षित कर सकेंगे। सोलर से संचालित यह कोल्ड स्टोरेज केड़िया के किसानों द्वारा पर्यावरणीय, इकोलॉजिकल कृषि को अपनाने की कोशिश को मजबूत बनाएगा।
गांव की किसान सुनीता देवी कहती हैं कि अभी तक हम व्यापक तौर पर सब्ज़ी इसलिए नहीं उपजाते थे कि हमें इसके बर्बाद होने का डर रहता था, अब चूँकि हमारे गाँव में सोलर कोल्ड स्टोरेज लग गया है तो हमने अधिक सब्ज़ी की खेती शुरू कर दी है। अब हमें ना ही सब्ज़ी सड़ने का डर है, न हमें अपना उत्पाद औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा। अब तो हम बाज़ार में बेहतर क़ीमत आने का इंतज़ार कर सकते हैं।
समिति बनाकर आगे बढ़ रहे हैं किसान-
केड़िया के सभी किसानों ने जीवित माटी किसान समितिमें जुड़ कर अपने गाँव को बिहार सरकार की कृषि योजनाओं से जुड़कर ही आदर्श जैविक गाँव बनाने का निर्णय लिया है। मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए वे अपने खेतों में वर्मीखाद, अमृत पानी, जीवामृत, घन जीवामृत, गौमूत्र और मानव मूत्र जैसे रसायन-मुक्त उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फसलों पर लगने वाले कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए वे नीमामृत, अग्निअस्त्र, तम्बाकू के चूर्ण से बने कीट नियंत्रक दवाईयों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें जिला प्रशासन का पूरा सहयोग प्राप्त है। फिलहाल इस तरह के प्लांट के लिए केंद्र सरकार 30 फीसदी सब्सिडी दे रही है, जबकि बिहार सरकार 15 फीसदी सब्सिडी देगी। इस तरह के प्लांट छत्तीसगढ़ के अलावा दक्षिण भारत के गांवों में लगने शुरू हो गए हैं, लेकिन उत्तर भारत में जागरूकता का अभाव है।
रासायनों के इस्तेमाल से आजादी की शुरूआत-
ग्रीनपीस के कैम्पैनेर इश्तियाक अहमद का कहना है, ‘देश की आजादी के वर्षगांठ के कुछ दिन पहले हम केड़िया के किसानों के साथ एक नई आज़ादी का जश्न मना रहे हैं। यह आज़ादी है- रसायनों के दुष्प्रभाव से, ऊँची लागत और जानलेवा कर्ज से, मौसम और बाजार की स्थितियों की अनियमितता से और औने-पौने दामों में बेचने की मजबूरी से।
नोट- किसी तरह की जानकारी के लिए मेल आईडी के जरिए संपर्क कर सकते हैं। ishteyaque.ahmed@greenpeace.org