बलिराम सिंह, नई दिल्ली
दिल्लीवालों को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जा सकता है, ताकि बारिश के जरिए वातावरण में व्याप्त जहरीली धुंध जमीन पर बैठ जाए और लोग राहत की सांस ले। रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आयोजित दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली में कृत्रिम बारिश के जरिए प्रदूषण को दूर करने का फैसला किया गया। इस बाबत दिल्ली सरकार केंद्र से सहयोग लेगी। इसके साथ ही एक बार फिर से दिल्ली में ‘ऑड-ईवन फॉर्मूला’ को लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण काे रोकने के लिए 13 सूत्री आपातकालीन फाॅर्मूला तैयार किया है।
प्रदूषण रोक के लिए दिल्ली सरकार का 13 सूत्री फॉर्मूला-
– अगले पांच दिनों तक किसी भी तरह का निर्माण अथवा भवन गिराने जैसे कार्य को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
-अगले पांच दिनों तक डीजल चालित जनरेटर चलाने पर रोक, हालांकि अस्पताल और मोबाइल टॉवर जैसे इमरजेंसी सेवा में इसे लागू नहीं किया जाएगा।
-बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट को अगले 10 दिनों तक बंद किया जाएगा।
-100 फीट चौड़ी सड़कों को स्प्रिंकल तकनीकी से सफाई की जाएगी, पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रत्येक सड़क को सप्ताह में एक बार साफ किया जाएगा।
-बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट से राख की ढुलाई भी अगले 10 दिनों तक बंद रहेगा। प्लांट से निकलने वाली राख पर पानी का छिड़काव किया जाएगा, ताकि हवा में राख न उड़े
-पेड़ों से गिरी पत्तियों, कचरे को हर हालत में जलाने से रोकने परजोर। यदि कहीं पर इस तरह की घटना होती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
-10 नवंबर से सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग तरीके से सफाई की जाएगी
-सभी निजी व सरकारी स्कूलों को सोमवार से अगले तीन दिनों तक बंद कर दिया गया है
-एमसीडी यह सुनिश्चित करेगी कि ढलाई घरों पर कचरे न जलाया जाए
ऑड-ईवन की फिर से तैयारी-
प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक बार फिर से ऑड-ईवन फॉर्मूला को लागू करने की तैयारी में जुट गई है। सरकार ने संबंधित एजेंसियों को इस पर काम शुरू करने का निर्देश दिया है।
-सभी स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग को एडवाइजरी लागू करने का निर्देश दिया गया है
-किसी भी स्थान पर कूड़ा-कचरा अथवा पत्तियों के जलाने पर रोक लगाने के लिए पर्यावरण विभाग जल्द ही एक विशेष ऐप लांच करेगा, जिसके जरिए आम जनता सीधे पर्यावरण विभाग को रिपोर्ट करेगी।
-केंद्र सरकार से कृत्रिम बारिश कराने के लिए मुख्य सचिव और पर्यावरण सचिव संपर्क करेंगे।
वर्ष 2003 में महाराष्ट्र में हुई थी कृत्रिम बारिश-
कृत्रिम बारिश के लिए सिल्वर आयोडाइड या शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाईऑक्साइड) को जनरेटर या हवाई जहाज के ज़रिए वातावरण में फैलाया जाता है। विमान से सिल्वर आयोडाइड को बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है।
सिल्वर आयोडाइड क्रिस्टल की संरचना प्राकृतिक बर्फ के जैसी ही होती है। सिल्वर आयोडाइड क्रिस्टल की सतह पर जमा पानी और बर्फ के कैसे कराते हैं कृत्रिम बारिश प्रवीण कुमार मौसम को अपने अनुरुप परिवर्तित करने के लिए विभिन्न देशों में बादलों के बीजारोपण (क्लाउड-सीडिंग) का इस्तेमाल पिछले 50 से अधिक वर्षो से हो रहा है।
चीन में ओलंपिक खेलों से पहले किया गया-
अगस्त 2008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान इसका प्रयोग किया गया था। कहते हैं कि बादल-बीजारोपण करके ओलंपिक उद्धाटन समारोह पर मंडरा रहे बारिश के खतरे को सफलता पूर्वक टाल दिया गया था। कण इस तरह से बनते हैं, जैसे वे प्राकृतिक बर्फ ही हों।
2003 में महाराष्ट्र में हुई थी कृत्रिम बारिश-
महाराष्ट्र में इससे पहले 2003 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी। तब सरकार ने 5 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च करके 22 तालुकाओं में कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया था। यह प्रयोग सफल रहा था।
प्रदूषण के खिलाफ सड़कों पर आई जनता-
दिल्ली एनसीआर में पिछले एक सप्ताह से छाये प्रदूषण युक्त धुंध के खिलाफ अब दिल्ली की जनता घर से बाहर निकल पड़ी है। रविवार को दिल्ली की महिलाएं, स्कूली बच्चे, सामाजिक कार्यकत्र्ता प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पहुंचे। लोगों ने प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की। इस मौके पर लोगों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, जिसे जल्द ही राष्ट्रपति को सौपेंगे।