गांधी को जहर मिले दूध देकर मारने की थी साजिश
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा कि 1948 से 31 साल पहले 1917 में ही अंग्रेजी हुकूमत ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन शुक्र है उस गुमनाम नायक बत्तख मियां का, जिन्होंने ऐन मौके पर राष्ट्रपिता की जान बचा ली।
स्वदेश वापसी के बाद गांधी के चंपारन में कदम रखते ही अंग्रेजी हुकूमत ने जहर मिले दूध के जरिए उन्हें मारने की साजिश रची थी, लेकिन बत्तख मियां ऐन मौके पर महात्मा गांधी को इसके बारे में आगाह कर दिया, जिससे गांधी की जान बची, इसके गवाह खुद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद थें।
बताया जाता है कि बत्तख मियां एक सामान्य किसान थें, और अंग्रेज अधिकारियों को रोजाना दूध पहुंचाने जाते थे। अंग्रेज अधिकारी इरविन ने बत्तख मियां को दूध में जहर मिलाकर गांधी को देने को कहा था, अंग्रेजों ने बत्तख मियां को करोड़ों रुपए देने का लालच दिया था, इसके अलावा उन्हें चेतावनी भी दी गई कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें प्रताड़ित करने और यातना की धमकी दी गई। अंग्रेजों के दबाव में बत्तख मियां ने जहर मिला दूध लेकर गांधी के सामने गए, लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने राष्ट्रपिता को बता दिया कि इसमें जहर मिला है।
बत्तख मियां को प्रताड़ित किया गया-
बत्तख मियां को इस राष्ट्रवाद के लिए कुर्बानी भी देनी पड़ी, उन्हें अंग्रेजों ने प्रताड़ित किया। आज भी बत्तख मियां के परिजन बदहाली जीवन बिताने को मजबूर हैं। बत्तख मियां की संपत्ति को अवैध तरीके से नीलाम कर दिया गया, उनके घर को श्मशान के तौर पर इस्तेमाल किया गया, बत्तख मिया का परिवार सिसवा अजगरी गांव छोड़कर पश्चिम चंपारण के अकवा परसौनी गांव पलायन कर गया।
हालांकि मोतिहारी स्टेशन पर बत्तख मियां के नाम से गेट बना हुआ है। चंपारन की स्थानीय जनता की जुबां पर आज भी बत्तख मियां की देशभक्ति याद है। बत्तख मियां की चर्चा बिहार विधान परिषद की कार्यावाही में भी शामिल किया गया।
चंपारण निवासी और भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर आंदोलनरत संतोष पटेल कहते हैं कि बत्तख मियां का योगदान अनुपम है। महात्मा गांधी को मारने के लिए अंग्रेजों ने बत्तख मियां के माध्यम से गांधी को विष मिले दूध देकर मारने की योजना बनायी थी। लेकिन बत्तख मियां ने गांधी को पहले ही आगाह कर दिया, जिससे गांधी की जान बच गई।