“A woman cannot be characterless unless a man is characterless”: Gautam Buddha
Buddhadarshan, New Delhi
बुद्ध वचन
सन्यास लेने के बाद भगवान गौतम बुद्ध Buddha एक बार एक गांव में गए।
वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली- आप तो कोई “राजकुमार” लगते हैं।
क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है?
बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया …
“तीन प्रश्नों” के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया…
बुद्ध ने कहा.. हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है, पर जल्दी ही यह “वृद्ध” होगा, फिर “बीमार” और अंत में “मृत्यु” के मुंह में चला जाएगा। मुझे ‘वृद्धावस्था’, ‘बीमारी’ व ‘मृत्यु’ के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है।
बुद्ध के विचारों से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया….
शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई।
गांववासी बुद्ध के पास आए व आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं, क्योंकि वह “चरित्रहीन” है।.
बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा?
क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है…?
मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है। आप उसके घर न जाएं।
बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा।
मुखिया ने कहा, मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता, “क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपने पकड़ा हुआ है।
बुद्ध बोले, इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जब तक इस गांव के “पुरुष चरित्रहीन” न हों?
यदि गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहां के पुरुष जिम्मेदार हैं।
यह सुनकर सभी “लज्जित” हो गए।
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