Wednesday, July 2, 2025
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कुदरत के करीब आने का माध्यम है छठ महापर्व

कुदरत के करीब आने का माध्यम है छठ महापर्व

  Buddhadarshan News, New Delhi इंसान को कुदरत के करीब लाने का पर्व है छठ महापर्व। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी (24 अक्टूबर) के रोज नहा खा से शुरू होकर अगले 27 अक्टूबर की सुबह इस महापर्व का समापन होगा। इस महापर्व में अस्ताचल (sunset) और उगते सूर्य (rising sun) की पूजा होती है। श्रद्धालु नदी, जलाशय, पोखरी, नहर इत्यादि के किनारे इस त्यौहार को मनाते हैं। 24 अक्टूबर को नहा खा कर यह पर्व शुरू होता है। अगले दिन (25अक्टूबर) खरना तथा शुक्ल पक्ष के षष्ठी (26 अक्टूबर) की शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ व्रतधारी उसके अगले दिन सुबह में (27 अक्टूबर) उदयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर महाव्रत का समापन करेगें । बिहार के विभिन्न हिस्सों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में भी यमुना और समुंद्र के किनारे इस महापर्व पर श्रद्धालुओं का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। हालांकि दिल्ली में यमुना के बहुत ज्यादा प्रदूषित होने की वजह से श्रद्धालुओं को गंदे पानी में खड़ा होकर सूर्यदेव की पूजा करनी पड़ती है। यह भी पढ़ें: Ayodhya:दिल्ली से अयोध्या जाने वाली प्रमुख ट्रेन शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व प्रचानीकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार उषा (छठी मईया ) एवं  प्रत्युषा सूर्यदेव की दो पत्नियाँ हैं। छठ महाव्रत में श्रद्धा, भक्ति, समर्पण तथा सात्विकता के साथ निर्जला उपवास रखकर भगवान सूर्य, दोनों माताओं तथा भगवान कार्तिकेय की भी पूजा अर्चना की जाती है। मौसमी फलों, नारियल, ईख, ठेकुआ, कचवनिया आदि के साथ दूध तथा गंगाजल से अर्घ्य समर्पित किया जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी या छठ व्रत की शुरुआत रामायण काल से हुई थी। इस व्रत को सीता माता और द्रौपदी ने भी किया था।

पीएम मोदी के बचपन का सपना पूरा हुआ, ‘रो-रो फेरी सेवा’ से 8 घंटे की यात्रा एक घंटे में पूरी हुई

पीएम मोदी के बचपन का सपना पूरा हुआ, ‘रो-रो फेरी सेवा’ से 8 घंटे की यात्रा एक घंटे में पूरी हुई

बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में अब भावनगर से दाहेज के बीच यात्रा करने के लिए 8 घंटे का लंबा समय नहीं लगेगा, बल्कि एक घंटे के अंदर ही लोग दोनों इलाकों में आसानी से आवागमन कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भावनगर के घोघा और भरूच के दाहेज के बीच लगभग 650 करोड़ रुपए की रोल-ऑन रोल ऑफ  (रो-रो) फेरी सेवा के पहले चरण का शुभारंभ किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि रो-रो फेरी सर्विस के जरिए वह अपने बचपन के सपने को पूरा होते देख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में जलमार्गों के जरिए यात्रा सस्ता होने के बावजूद पिछली सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। हमारे ये प्रयास देश को 21वीं सदी की परिवहन प्रणाली प्रदान करेंगे, जो न्यू इंडिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने ‘रो-रो फेरी सर्विस’ को दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बताया। इस तरह की परियोजना से राज्य के विकास के साथ लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में गुजरात ने अपने बंदरगाहों की क्षमता में चार गुना वृद्धि की है। यह भी पढ़ें:  Ayodhya:दिल्ली से अयोध्या जाने वाली प्रमुख ट्रेन  ‘पी फॉर पी’ से आएगी समृद्धि- प्रधानमंत्री ने रो-रो फेरी सर्विस के तहत फेरी में बैठकर 100 दिव्यांग बच्चों के साथ घोघा से दाहेज पहुंचे। इस दौरान दाहेज में उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘पी फॉर पी’ (पोर्ट फॉर प्रॉस्पेरिटी) अर्थात समृद्धि के लिए बंदरगाह।  उन्होंने कहा कि बंदरगाह समृद्धि के प्रवेश द्वार हैं। अब लोगों को घोघा से दाहेज जाने के लिए 360 किलोमीटर की यात्रा के बजाय महज 31 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी। जनवरी 2012 में इस ड्रीम प्रोजेक्ट की नींव खुद मोदी ने गुजरात का सीएम रहते हुए रखी थी।   रो-रो फेरी से घोघा की बदलेगी तस्वीर- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रो-रो फेरी से घोघा की तस्वीर बदल जाएगी। भविष्य में इस सेवा का विस्तार जाफराबाद, दमन दीव, हजीरा जैसी जगहों पर भी किया जाएगा। जानकारी के अनुसार एक फेरी सर्विस से एक साथ 70 से 80 ट्रक या 100 छोटी गाड़ियां या फिर 500 यात्रियों को लेकर जाया जा सकेगा।

Ayodhya: एक लाख 87 हजार दीपों से भगवान राम का स्वागत

Ayodhya: एक लाख 87 हजार दीपों से भगवान राम का स्वागत

गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराने के लिए विश्व कीर्तिमान बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली भगवान राम की नगरी अयोध्या में छोटी दीपावली के मौके पर एक लाख 87 हजार दीपों से सरयू तट शाम के अंधेरे में दूधिया रोशनी में जगमगा गया। राम की पैड़ी स्थित सात घाटों पर शाम 6:20 बजे से  आठ बजे के मध्य मिट्टी के दीपक जलाए गए। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाईक के साथ मिलकर दीप जला कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस मौके पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा, राज्य मंत्री केजे अल्फांसो के अलावा प्रदेश मंत्रिमंडल के कई सदस्य, सांसद, विधायकों के साथ अयोध्यावासी उपस्थित रहें। इतनी बड़ी संख्या में दीए जलाने के लिए घाटों पर ढाई हजार वालंटियर्स उपस्थित थें। हालांकि पूर्व में घाट पर 1 लाख 71 हजार दीप प्रज्वलित करने की योजना बनायी गई थी, लेकिन गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराने के लक्ष्य से आयोजकों ने इसकी संख्या बढ़ाकर 1 लाख 87 हजार कर दी। सरयू किनारे श्रीरामघाट, दशरथघाट, लक्ष्मणघाट, वैदेहीघाट,  भरतघाट, शत्रुघ्नघाट, मांडवी घाट पर ऊपर से नीचे तक कतार में दीये बिछाए गए। साथ ही घाटों पर स्थित मंदिर अलग-अलग रंग की आकर्षक रोशनी से चमक उठे। इस मौके पर गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड की टीम भी पहले से उपस्थित थी और जलते दीयों की तस्वीर ड्रोन कैमरे व कुछ अन्य विशेष कैमरों से खींची। इस मौके पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने 135 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। दीपोत्सव में छात्रों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका- एक लाख 87 हजार दीपों को जलाने में यहां के विभिन्न कॉलेजों के ढाई हजार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें अवध विश्वविद्यालय के साकेत कॉलेज, राजा मोहन गर्ल्स पीजी कॉलेज, झुनझुनवाला कॉलेज, परमहंस कॉलेज इत्यादि के छात्रों और शिक्षकों ने योगदान दिया। पुष्पक विमान की तर्ज पर हेलिकॉप्टर ससे आए श्रीराम- इस मौके पर त्रेता युग की तर्ज पर अयोध्या में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता हेलिकॉप्टर से अयोध्या पहुंचे। उनके ऊपर हेलिकॉप्टर केे जरिए पुष्प वर्षा की गई। यहां लेजर शो के जरिए रामायण के प्रसंगों को जीवंत किया गया।

अयोध्या में सरयू तट पर जलेंगे 1.71 लाख दीये

अयोध्या में सरयू तट पर जलेंगे 1.71 लाख दीये

दीपोत्सव को गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराने की तैयारी  बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली भगवान राम की नगरी अयोध्या में दिवाली के मौके पर इस बार सरयू नदी के तट पर 1 लाख 71 हजार दीप जला कर दिपोत्सव मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आयोजन को गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराने की तैयारी की है। बुधवार को दीपावली मनाने के लिए त्रेतायुग जैसी स्क्रिप्ट तैयार की गई है। प्रदूषणमुक्त दिवाली के लिए इस  बार आतिशबाजी की जगह लेजर शो का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और राज्यपाल रामनाईक भी उपस्थित रहेंगे। Today one lakh and seventy one thousand earthen lamps will glow on the banks of river Saryu. Chief Minister Yogi Aditynath will attend in this event.

यूपी के सभी किलों का होगा संरक्षण: योगी

यूपी के सभी किलों का होगा संरक्षण: योगी

बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश के सभी किलों को संरक्षित किया जाएगा। इस बाबत एक आध्यात्मिक सर्किट बनाया जाएगा। इसमें चुनार का किला, झाँसी किला, कालिंजर किला आदि को शामिल किया जाएगा। टूरिस्ट बुकलेट से ताजमहल गायब होने पर मुख्यमंत्री ने बताया कि चूंकि बौद्ध सर्किट व आध्यात्मिक सर्किट पर काम होने के साथ ताजमहल के लिए अलग प्रोजेक्ट बनाया गया है। ताजमहल के लिए अलग से प्रोजेक्ट बनाए जाने की वजह से बुकलेट में दूसरे पर्यटन स्थलों को जगह मिली। ताजमहल के संरक्षण का काम तो सरकार कर ही रही है। मुख्यमंत्री ने 23 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाले विभिन्न पर्यटन परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत तीन सड़कों का शिलान्यास तथा कप्तानगंज तथा कप्तानगंज तहसील व कसया तहसील में निर्मित आवासीय भवना ें का लोकार्पण भी किया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं की समस्याओं के निवारण के लिए जिलाधिकारी को निर्देश दिया और समन्वय स्थापित करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के छह क्षेत्रों में पर्यटन स्थल भगवान बुद्ध से जुड़े हैं। यहां जल्द ही पर्यटकों के लिए टूरिस्ट पुलिस का गठन किया जाएगा। माथा कुंवर स्टाप पर सीसीटीवी कैमरा, पेयजल, पार्किंग, लाइट एंड साउंडस महापरियोजना पर सोलर लाइट इत्यादि का इंतजाम,  रामाभार स्तूप पर सोलर लाइट्स, सीसीटीवी कैमरा व पेयजल की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। इस मौके पर पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि पर्यटन को प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाएगा। ताकि रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हों।

भगवान धन्वंतरि की जयंती पर राष्ट्र को आयुर्वेद ‘एम्स’ का तोहफा

भगवान धन्वंतरि की जयंती पर राष्ट्र को आयुर्वेद ‘एम्स’ का तोहफा

बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती (धनतेरस) पर मंगलवार को राष्ट्र को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ‘एम्स’ का तोहफा किया। इस मौके पर उन्होंने देश के प्रत्येक जिला में आयुर्वेद  अस्पताल खोलने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश अपने इतिहास और विरासत को महत्व और ध्यान दिए बिना प्रगति नहीं कर सकता। जो देश अपनी विरासत को पीछे छोड़ देते हैं वह अपनी पहचान भी खो देते हैं। दुनिया अब प्रकृति और सेहत की ओर लौट रही है। आयुर्वेद भारत की ताकत है। Prime Minister Narendra Modi on Tuesday inaugurated the first ever 200-bed ayurveda hospital on the lines of All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) in New Delhi and said his government plans to establish such traditional medical institutes in every district of the country. प्रधानमंत्री ने सूचना क्रांति की तरह आयुर्वेद क्रांति लाने का आह्ववान किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद दिवस या योग दिवस के लिए एकत्र हुए लोगों को देखकर हमारी विरासत में गर्व प्रदर्शित होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं है बल्कि है सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण स्वास्थ्य को जोड़ने वाली एक प्रणाली है, इसलिए सरकार ने आयुर्वेद , योग और अन्य आयुष पद्धतियों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में शामिल करने के लिए बल दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 3 वर्षों के दौरान 65 से भी अधिक आयुष अस्पतालों का विकास किया गया है। स्वास्थ्य देखभाल लोगों की बेहतर पहुंच बनाने के लिए नए एम्स की स्थापना की जा रही है। उन्होंने स्टेंट और घुटना इम्प्लांट्स की कीमतों पर सीमा तथा किफायती कीमतों पर दवाईयां प्रदान करने के लिए जन औषधि केंद्रों की स्थापना जैसे उपायों का भी उल्लेख किया। आयुर्वेद के विकास के लिए प्रधानमंत्री के सुझाव- आयुर्वेद विशेषज्ञ एलोपैथी जैसी आयुर्वेदिक दवाएं तैयार करें। जिनसे तुरंत राहत मिले और कोई दुष्प्रभाव न हो। दवाओं की बेहतर पैकिंग हो। आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी फंड का उपयोग करें। मौजूदा पाठ्यक्रम का पुनर्निर्धारण हो ताकि मानक स्तर कायम हो। आयुष व कृषि मंत्रालय किसानों को औषधीय फसलें लगाकर आय बढ़ाने की सलाह दें। आयुर्वेद संस्थान की खासियत- नई दिल्ली के सरिता विहार क्षेत्र में 10 एकड़ में लगभग 157 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है। यहां कई क्षेत्र में पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी प्रोग्राम शुरू होगा।  पंचकर्म टेक्नीशियन कोर्स भी करवाया जाएगा। यह दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है। यहां बाल रोग, मौलिक सिद्धांत, पंचकर्म, प्रसूति और स्त्री रोग, शल्य तंत्र विभाग हैं।

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