बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बदलती जीवनशैली से हमारा दिल नाजुक होता जा रहा है। स्थिति ऐसी होती जा रही है कि मासिक धर्म बंद होने से पहले ही स्त्रियां हृदय रोग की चपेट में आ रही हैं। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के पांच साल की स्टडी रिपोर्ट में महिलाओं मंे हृदय से संबंधित बीमारियों में 10 फीसदी इजाफा हुआ है। इसके अलावा 40 साल से कम उम्र वाले लोगों में हृदय रोग से संबंधित 28 फीसदी समस्याएं बढ़ी हैं।
दिल्ली स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के सीईओ और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.अोपी यादव के मुताबिक मासिक धर्म बंद होने से पहले तक महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन उनके दिल की रक्षा करते हैं। चूंकि 50 से 55 की उम्र के बाद इन हार्मोंस का स्तर कम होने लगता है तो महिलाएं दिल के रोगों के मामले में पुरूषों के बराबर आने लगती हैं। लेकिन आज बदलती जीवन शैली की वजह से स्थितियां बदल रही हैं और मासिक धर्म बंद होने से पहले ही महिलाएं हृदय रोग की चपेट में आ रही हैं। इंस्टीट्यूट में 25 फीसदी महिलाओं की सर्जरी की गई।
बीमारी की चपेट में आने की वजह-
धूम्रपान, वजन कम करने के खतरनाक तरीके, आलसी जीवनशैली, अस्वस्थ खानपान, अत्यधिक तनाव और दिल के रोगों की जांच और इलाज के प्रति ध्यान ना देना है।
120444 मरीजों पर हुई स्टडी-
इंस्टीट्यूट में इलाज के लिए पिछले पांच सालों के दौरान कुल 120444 मरीज आए। इनमें से 40 साल से कम उम्र की 8902 महिलाएं और 40 साल से अधिक उम्र की 37727 महिलाएं शामिल थीं।
दुनिया की दिल के रोगों की राजधानी की ओर अग्रसर भारत-
डॉ.यादव के मुताबिक भारत धीरे-धीरे दुनिया की दिल की रोगों की राजधानी बनता जा रहा है। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट ने पिछले पांच सालों (2012 से 2016 तक)की स्टडी में यह पाया है कि भारतीयों में कोरोनरी हार्ट डिजीज में तेजी से वृद्धि हुई है। दुनिया के दूसरे हिस्सों की आबादी की तुलना में भारत में दिल के दौरे से मरने वालों की संख्या 4 गुना ज्यादा है। सबसे चिंता का विषय यह है कि भारत में अब छोटी उम्र में हृदय संबंधित बीमारियों के लक्षण और महिलाओं में इस बीमारी की वृद्धि चिंताजनक है। पश्चिमी देशों में लोगों ने जीवनशैली में सुधार करके इस समस्या को कम किया है। ज्यादातर भारतीय युवा शुगर और मोटापे का शिकार हो रहे हैं।
बरतें सावधानियां-
फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लेना चाहिए। हर रोज 20 से 30 मिनट का चुस्त व्यायाम कम से कम सप्ताह में 3 दिन तो जरूर करें, ताकि दिल अच्छी तरह से काम करता रहे। इसके अलावा युवाओं के अलावा महिलाएं और पुरूष 35 साल की उम्र के बाद नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच कराए। 35 साल के बाद हर पांच साल में एक बार, 45 के बाद 2 साल में एक बार और 60 के बाद साल में एक बार स्वास्थ्य जांच जरूर करवाएं।