Buddhadarshan News, New Delhi
क्या आप जानते हैं कि पिछले 10 सालों में किसानों द्वारा पैदावार में डेढ़ गुना वृद्धि की गई है। अनाज, सब्जी, फल मिलाकर उत्पादन 365 करोड़ टन से बढ़कर 534 करोड़ टन हो गया है। लेकिन इसी दौरान डेढ़ लाख किसानों ने भी आत्महत्याएं भी की हैं। आज की खेती से किसान अपने परिवार के लिए न्यूनतम साधन भी नहीं जुटा सकता है। किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं देने की वजह से उन्हें सलाना 2 लाख करोड़ का घाटा होता है। वास्तव में आज किसान देश को सब्सिडी दे रहे हैं।
फसल की लागत में 50 फीसदी फीसदी जोड़कर न्यूनतम मूल्य की मांग सहित किसानों की समस्याओं को लेकर देशभर के 180 से ज्यादा किसान संगठन दिल्ली के संसद मार्ग पर 20 नवंबर को इकट्ठा हो रहे हैं। संसद मार्ग पर 20 नवंबर को ‘किसान मुक्ति संसद’ का आयोजन होगा।
‘किसान मुक्ति संसद’ से पूर्व देशवासियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए स्वराज अभियान के कार्यकत्र्ता विभिन्न माध्यमों का सहारा ले रहे हैं। किसानों ने गुरूवार को दिल्ली के अाईटीओ और नोएडा के फिल्मसिटी फ्लाईओवर पर फांसी लगाकर आत्महत्या करने वाले किसानों का पुतला लटकायें।
किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव कहते हैं कि देश में किसानों की दुर्दशा से देशवासियों को परिचित कराना जरूरी है। इसके लिए वालंटियर विभिन्न माध्यमों का सहारा ले रहे हैं। किसानों काे फसल का वाजिब कीमत जरूर मिलनी चाहिए। किसान खुशहाल होगा तो राष्ट्र खुशहाल होगा।
इंडिया गेट पर किसानों का दिखाया गया दर्द-
शुक्रवार को स्वराज अभियान ने शहीदों के पवित्र स्थल इंडिया गेट पर प्रोजेक्टर के जरिए पर्यटकों को किसानों का दर्द दिखाया। किसान नेताओं का कहना है कि उम्मीद है कि अब समाज और सरकार का अब भी किसानों की बदहाली पर ध्यान जाय।