Friday, April 19, 2024
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Tag: Surat

युद्ध में घायल सैनिक के सम्मान के लिए 17 हजार किमी की लंबी यात्रा कर रही हैं बाइकर मित्सु चावड़ा

युद्ध में घायल सैनिक के सम्मान के लिए 17 हजार किमी की लंबी यात्रा कर रही हैं बाइकर मित्सु चावड़ा

Buddhadarshan News, New Delhi अक्सर आज की युवा पीढी छोटी-छोटी समस्याओं से टूट जाती है और आत्महत्या जैसे कदम उठा ...

पहले थें सीमेंट कंपनी के प्रेसिडेंट, अब गांव में साइंस गुरू बन गए पटेल राजेंद्र प्रसाद

पहले थें सीमेंट कंपनी के प्रेसिडेंट, अब गांव में साइंस गुरू बन गए पटेल राजेंद्र प्रसाद

  -रिटायर्ड लोग साइंस गुरू से लें प्रेरणा   बुद्धादर्शन न्यूज, नई दिल्ली जो लोग रिटायरमेंट के बाद जीवन को डूबता सूरज की नजर से देखने लगते हैं, उनके लिए पटेल राजेंद्र प्रसाद सर, एक उजाले की तरह हैं। ऐसे लोग राजेंद्र प्रसाद के जीवन से प्रेरणा लेते हुए खुद को ऊर्जावान बना सकते हैं। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के रामपुर ढबही गांव (स्माईल पिंकी का गांव) के निवासी पटेल राजेंद्र प्रसाद जिंदल सीमेंट कंपनी में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट के पद से पिछले साल रिटायर्ड हुए। हालांकि 60 साल पूरा होने के बावजूद कंपनी राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल बढ़ाना चाहती थी। अन्य सीमेंट कंपनियां भी राजेंद्र प्रसाद को नौकरी का ऑफर दिया, लेकिन राजेंद्र प्रसाद ने रिटायरमेंट के बाद अपनी बुजुर्ग मां की सेवा करने और ग्रामीण युवाओं को सही मार्गदर्शन देने के लिए गंगा किनारे स्थित अपने पैतृक जिला मिर्जापुर को अपनी कर्मस्थली बनाने का फैसला किया और पिछले एक साल की कड़ी मेहनत और लगन से आपको मिर्जापुर से नेशनल साइंस कांग्र्रेस के लिए चुना गया है। इसके अलावा आपको जिला साइंस क्लब का स्थायी स्पीकर बनाया गया है। अमूमन देखा जाता है कि रिटायरमेंट के बाद अधिकांश लोगों की दिनचर्या खराब हो जाती है, जिसकी वजह से ऐसे लोगों का स्वास्थ्य भी खराब होने लगता है। ऐसे लोगों को राजेंद्र प्रसाद से प्रेरणा लेने की जरूरत है, ताकि वे रिटायरमेंट के बाद भी सही ढंग से जीवन का सदुपयोग कर सकें और खुद को स्वस्थ रख सकें। बेल्लारी में लगाए 15 हजार नीम के पौधे-  राजेंद्र प्रसाद ने सूरत से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अधिकांश समय महाराष्ट्र, कनार्टक में 35 सालों तक उच्च पदों पर नौकरी की। पर्यावरण के प्रति लगाव की वजह से राजेंद्र प्रसाद ने नौकरी पीरियड के दौरान बेल्लारी में 15 हजार नीम के पौधे लगाए। इसके अलावा अन्य विभिन्न देसी प्रजाति के पौधों को भी लगाया। गांव में खोले डेयरी फार्म-  रिटायरमेंट के बाद राजेंद्र प्रसाद ने गांव में गौशाला खोले हैं। सोलर पैनल भी लगाए हैं। जल्द ही युवाओं के लिए सस्ती दर पर कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा गोबर गैस संयंत्र, मेडिसिनल प्लांट भी लगाएंगे। छात्रों को करते हैं मोटिवेट- इन सभी कार्याें के अलावा राजेंद्र प्रसाद अपने बचे हुए समय में विभिन्न स्कूलों में जाकर छात्रों को मोटिवेट करते हैं। उन्हें बदलते समय के साथ एजुकेशन फिल्ड में आने वाली चुनौतियां, पर्यावरण इत्यादि के बारे में बताते हैं।

तीन साल की बेटी की परवरिश जरूरी, अनामिका नहीं बन सकीं साधु

तीन साल की बेटी की परवरिश जरूरी, अनामिका नहीं बन सकीं साधु

Buddhadarshan News, New Delhi सौ करोड़ की संपत्ति का मालिक सुमीत राठौड़ और उनकी पत्नी अनामिका ने शांति की तलाश में अपना घर-बार त्यागकर जैन साधु बनने का फैसला लिया। लेकिन दंपत्ति की तीन साल की बेटी इभ्या के पालन-पोषण को देखते हुए फिलहाल केवल सुमित ही गुजरात के सूरत शहर स्थित वृंदावन पार्क में जैन साधु के तौर पर दीक्षा ले सके हैं। अब सुमित राठौर जैन साधु समित मुनि कहलाएंगे। फिलहाल उनकी पत्नी अनामिका को इंतजार करना पड़ेगा। Suspense over a Madhya Pradesh-based Jain couple  for deciding to leave behind a three-year-old daughter and Rs 100 crore in property for monkhood, continued on last Saturday after only the husband took his vows and the wife, Anamika’s ceremony was postponed. Saint Ramlal said 34-year-old Anamika’s initiation would be held after completion of legal formalities. मध्य प्रदेश के नीमच शहर के व्यावसायी नाहरसिंह राठौर के बेटे और बहू ने करीब 100 करोड़ की संपत्ति, तीन साल की बेटी को छोड़ पिछले महीने संन्यास धारण करने का फैसला लिया। लेकिन 23 सितंबर को गुजरात के सूरत में 34 वर्षीय सुमित ने जैन रीति-रिवाज से साधु बन गए, लेकिन  34 साल की पत्नी अनामिका का दीक्षा कार्यक्रम फिलहाल टल गया। अनामिका की तीन साल की बेटी इभ्या के पालन-पोषण को लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं ने नेशनल हृयूमन राइट्स कमिशन में भी शिकायत की थी। अनामिका की इच्छा काे पति ने किया पूरा- सुमित और अनामिका की शादी चार साल पहले हुई थी। अनामिका शुरू से ही धर्म के प्रति अत्यधिक आस्था रखती थी। शादी के बाद अनामिका के पति सुमित का भी धर्म के प्रति लगाव बढ़ गया और अंतत: दोनों ने साधु बनने का फैसला लिया। हालांकि दंपत्ति को अपने परिवारों को मनाना बेहद मुश्किल था। लेकिन धर्म के प्रति गहरी आस्था देखते हुए उनके परिजन भी राजी हो गए।

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